tera didar By Dilip Singh Charan · Friday, 10 June 2011

आज काफी अर्से बाद देखा तुझे
खुदा जानें ना जाने क्या हुआ मुझे
तेरे मेरे ये कैसे रूहानी ताल्लुकात है ?
तेरे माथेँ पेँ बिँदियाँ ,
माँग मेँ सिँदुर ,
...हाथोँ मे चुङियाँ,
पाँवो मे पायल
ये सब देख के
क्योँ हो
मेरा दिल घायल
क्या लेना देना मेरा
इन से
ये सब तेरे जिस्मानी अलंकार हैँ ।
आज अहसास हुआ प्रीत सदा निस्वार्थँ तथा बधनोँ से परे होती हैँ ।

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