chandni By Dilip Singh Charan · Friday, 10 June 2011

आज चाँद से
लङ रही हैँ चाँदनी
बादलोँ कि सैना
लेकर चाँद को घेरा है
और कह रही
...चाँद से चाँदनी
वो देखा धरा पर
बाङमेर शहर मेँ
एक छत पर
जल रहा दिप
प्यार मेरा हैँ

छम छम करती
चम चम चमकती
धिरे धिरे ठुमकती
मेरी छत पे उतरती है
मेरे पास आकर
केशु खोलकर
सिर झटक कर
जुल्फेँ बिखेर कर
सुन्हरी जुल्फेँ
मेरे रुख पर
डालती हैँ
बाहोँ का हार
मुझे पहनाकर
गले लगाकर
ऐतबार ए मोहब्बत
चाँदनी करती है...

Comments

Popular posts from this blog

काम प्रजालन नाच करे। कवि दुला भाई काग कृत

आसो जी बारठ

कल्याण शतक रँग कल्ला राठौड़ रो दीप चारण कृत