कविता एक दर्द भरा मजाक

कविता तो लिखनी चाहुं मगर लिख ना पांऊ ।
भूतपुर्व प्रेमिका याद नहीँ आती , feeling मैँ कहा से लांऊ ।।
कविता तो लिखनी चाहुं मगर लिख ना पांऊ ।
आजकल कुछ लिखा नहीँ जा रहा , जी करता हैँ
एक बार फिर इश्क की दरिया मेँ डुब जांऊ ।
अब तो बाल भी सफेद हो रहे हैँ , इस बुढापे मेँ प्रेमिका क्हाँ से लांऊ ?
कविता तो लिखनी चाहुं मगर लिख ना पांऊ ।
चलो कोई मिल भी गयी , तो समस्या ये होगी कि ,
इस बेरोजगारी मेँ फोन का बेलेँस कहा से लांऊ ।।
मान लो कवि दिप अगर कोई मिल जायेँ तोँ ?
तो क्या फिर से कविताओ के ढेर लगांऊ ।
कविता तो लिखनी चाहुं मगर लिख ना पांऊ ।

कवि दिप चारण

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