कविता - तेरी तस्वीर के टुकङे । दिप चारण
कविता - तेरी तस्वीर के टुकङे ।
घर वालोँ ने कचरे भेँक दियेँ छोटे छोटे करके टुकङे , तेरी तस्वीर के टुकङे तेरी तस्वीर के टुकङे ।
कचरे मेँ सेँ मै जोगी कि तरह चुग चुग कर लाया वहीँ टुकङे , तेरी तस्वीर के टुकङे तेरी तस्वीर के टुकङे ।
कुछ मिलेँ ही नहीँ ,कुछ गंवा दिये , और कुछ सम्भाल के रखे मैँने टुकङे, तेरी तस्वीर के टुकङे तेरी तस्वीर के टुकङे ।
तन्हाईयोँ मेँ सुनतेँ हैँ मेरे बैचेन दिल के दुखङे ,
तेरी तस्वीर के टुकङे तेरी तस्वीर के टुकङे ।
सुनके मेरा हाले-दिल रहते हैँ उखङे- उखङे ,
तेरी तस्वीर के टुकङे तेरी तस्वीर के टुकङे ।
दिप चारण
घर वालोँ ने कचरे भेँक दियेँ छोटे छोटे करके टुकङे , तेरी तस्वीर के टुकङे तेरी तस्वीर के टुकङे ।
कचरे मेँ सेँ मै जोगी कि तरह चुग चुग कर लाया वहीँ टुकङे , तेरी तस्वीर के टुकङे तेरी तस्वीर के टुकङे ।
कुछ मिलेँ ही नहीँ ,कुछ गंवा दिये , और कुछ सम्भाल के रखे मैँने टुकङे, तेरी तस्वीर के टुकङे तेरी तस्वीर के टुकङे ।
तन्हाईयोँ मेँ सुनतेँ हैँ मेरे बैचेन दिल के दुखङे ,
तेरी तस्वीर के टुकङे तेरी तस्वीर के टुकङे ।
सुनके मेरा हाले-दिल रहते हैँ उखङे- उखङे ,
तेरी तस्वीर के टुकङे तेरी तस्वीर के टुकङे ।
दिप चारण
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