गोगली अर तेमड़ेराय मंदर


आवड़ थारो आसरो, तेमड़ेराय थान।
सखरो भू मो सासरो, गदगद करु गुणगान।।

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण


गोगली कर गुरूर, तकरांरा ताला जड़े।
चारणां रोट चूर, जीमो घरांह जाय नै।।

भलीह करसे भगवती,गोगलियां री फ्रस्ट।
मांगों  की थे मंदरिये, थांरो  नाहीं  ट्रस्ट।।

लंगर नवदिन ल्गावता, चारण आये चार।
ताचकिया मढ तेमड़े, खाय गोगली खार।।

देख हसे है डोकरी, सुत चारण रजपूत।
कूटिजे  हक्क  कारणै, दोनूं  पूत  कपूत।।

लंगर ऐथ न लागसे, रोड़ चढ नाप राह।
कपूतां नाम काढियो,बाजि री झाल बांह।।

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण


जय हो मां तेमड़ेराय री

दोगल गोगल भोगल होयर भेलिय थानड़ तैमड़ हालो।
लाय करोत हथोड़ धबीड़ गबीड़ भचीड़ इ तोड़ इ तालो।
लालच लोकर माल इ माखन खावन मंदर अंदर वालो।
चारण ट्रस्टज कारण कष्टज झैल रयो नित होयर कालो।

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण


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