सुपखरो कृष्ण भगवान रो


बिछिया बजावां छड़ा छणकावां गीत गावां,
नाचां झूमे घूमे चूमे जपे त्मारो नाम।
गोपी कै गा गाना छाना माना छूप ना सुजाना ,
सूर साधे धेनू बांधे रीझा राधे श्याम।।

ग्वाला वृंदावन वाला नाग ने नाथण वाला,
नट्ट खट्ट नंद लाला जोड़ा तनॉ हाथ ।
वनवारी गिरधारी तन्न मन्न सब्ब हारी,
दीन री पूकार सूण आओ दीनानाथ।।

सारी रो बधायो चीर टेर द्रोपदी री सुण
ताण ताण थ्काया दुसासण पाण।
कौरवांरी देखे बुद्धि भीर आयो पांडवांरी
बंशी बजाये चलाया थें पार्थरा बाण।।

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण


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