दीप चारण


पत्नी जा जद पीहरे, हिवड़ो होय विरान।
टिंगर जै संग टूरिया, (तो) घर लागै सुनसान।।

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एटेंड फंगसन एक, कियो ना किणी कारणे।
देख दीपिया देख,  सब्ब रिसाज्या सासरिया।।

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जोरू रूठी जोर, बात रात सों नह करे।
छाय तिमिर चहुँओर, दिखे नही कछु दीपला।।

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के अपणो से रूसणो
के अपणो से खार।
मतभेद भूल माफ़ कर
पड़सी जद ही पार।।

अपनों से क्या तो रूठना और क्या द्वेष रखना।
मतभेद भूल,माफ़ करेंगे तभी काम चलेगा।।


परणी देख्यो पीवतां,(मैं) गुड़काय दी गिलास।
सखा शराबी जाणियो, ख्यालां कर्यो खलास ।।

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कामण फूल गुलाब रो, खामँद सरवर कीच।
बालम चातक बिलखतो,देख चंद  दृग मीच।।

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साजण आयो हे सखी, टूट्यो न गल्ल हार।
झूक न कर्या ज्वारड़ा, रूठ गयो भरतार।।

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बालम बाढाणे चला, सजणी सूण संदेश।
पीहरिये तूं पोढजै, दीप छडे भू देश।।

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बालम बाढाणे चला, सजणी सूण संदेश।

सोरी अब तूं सोवजै, सिधाय दीप  दिपेश।।

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