कोयल अर वियोग


डाल पिपलिये बैठकै, कोयल तू मत कूक।
परणी पीहरिये गयी, हिवड़े उठती हूक।।
हिवड़े उठती हूक, चित्त ने नाही चैना।
चातक चांदो चूक, नित्य बरसावै नैना।।
बधे दीप रो दूख्ख, खेत हिवड़े रो खाली।
कोयल तू मत कूक, बैठ पीपलिये डाली।।

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

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