समाज रा ठेकेदार
मोटी मोटी हस्तियां, मोटी मोटी गल्ल।
स्वारथ सोधण आपरो, टणकी राखे टल्ल।।
मोटी मोटी हस्तियां, मोटी मोटी गल्ल।
बाले कच्ची बस्तियां, हलावता निज हल्ल।।
मोटी मोटी हस्तियां, मोटी मोटी गल्ल।
दीन री डूबो कस्तियां, माल खा करे मल्ल।।
लूंठा बणे समाज रा, ठावा ठेकेदार।
ठोकता माल ठावको, काढ काढ कलदार।।
छोटा ने नाही गिणत,(ऐ) मोटा मोटा लोग।
चमचा राखे चौतरफ, भोगे छप्पन भोग।।
पापी बडा प्रवीण,सोशण खून समाज रौ |
बजावै चमचा बीण,बोळां आगै बापड़ा||
बार बार धिक्कार , डग पर म्हैं नी डगमगां।
आंख समों अंधकार, देखतां जगे दीपड़ो।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
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