पोंपा बाई


कूड़ि योजना कागजी, ज्यूं जांफल रो जूस।
जनता तो बम जाणियो, फूसकी निकली फूस।।

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण


राजे मुखिया राज री, सिर चढ़गी सरकार।
भल आई भरतार तज, आ पोंपा (बाई रो) अवतार।।


जीभ चलाइ लुभावणी, इण पोंपा (बाई रे) अवतार।
वादा किना वडा वडा, (पण) बजट दियो बेकार।।

डीगी डींगा हाक, बोट पोंपा(बाई)बटोरिया।
धराह जमते धाक, बचन सकल आ बिसरगी ।।

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण


पोपां थारी प्रोल, ऊंची भलां अकासड़े।
बजे वोट रा ढोल, थड़ थड़ थिरकिज जावसी।।

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण


रूलती फिरे......., नोट बुहारै बापड़ी।
कंकर गिणाय खांड, पोठे नै पैठो कहे।।

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण


रिक्त स्थान भरिये फिर पढिये

विधवा नाहि.................., रैयत काहे रोय।
रांड रांड सब जन कहे, रानी कहे न कोय।।

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण


खावे कुतिया खांड, किंवाड़ रसोइ (रै) कोयनी।
रानी बणगी........, हिंसा कर कर हिड़कणी।।

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण




मारे    लट्ठ     जोर, बेरहम   बा    बसुंधरा।
भल्ली कद हो भोर, गुदड़ बिन होम गार्डड़ा।।

शोषण कर कर सांतरो, खोटि सरकार खाय।
बेरण सुण ले बसुंधरा, जुल्म सह्यो न जाय ।।

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

Comments

Popular posts from this blog

काम प्रजालन नाच करे। कवि दुला भाई काग कृत

आसो जी बारठ

कल्याण शतक रँग कल्ला राठौड़ रो दीप चारण कृत