मित्र स्वरूप सिंह भाटी गोरड़िया
सासरिये री सैर, सजधज हाल्यो सुगन ले ।
पाघ पिचरंग पैर, गदगद सरुप गोरड़ियो।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
संभाल ले'र सांतरी, पाल हिये बिच प्रीत।
सजधज आयो साहिबो, सखिया गावो गीत।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
भल्लो कुल अति भाटियां,किताई ढाया कंश ।
भेर आवजो सांवरा, वधाय स्वरूप वंश।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
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