नखशिख सिणगार

चम्मकै पाण चूड़ियाँ,सिर पे रखड़ी सेट। चिल्लकै प्योवर चूनड़ी, लेहँगो एडि ठेट ।। मोती समान दंत हैं, नवलख कंठा हार। घेरदार घुमे घाघरो, नाचे मुळकै नार।। तेज दुधारी तेग सूं, खारो इणरो वार। आर पार हिवड़े हुई, कातिल नैन कटार।। गजरो महकै गैसुओं, मेंहदी हाथों माय। शिख बलखाती नागणी, बजत पाजेब पाय।। कामण कँवली फूल सी, कंचन वरणी देह। पिव भटकै परदेशड़े, छोडे धण धन ऐह ।। काठी कटि तक कांचली, जबरी थिरकत जांघ। बलम देख बिलमायगी, झूमे सीमा लांघ।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण