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Showing posts from April, 2017

नखशिख सिणगार

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चम्मकै पाण चूड़ियाँ,सिर पे रखड़ी सेट। चिल्लकै प्योवर चूनड़ी, लेहँगो एडि ठेट ।। मोती समान दंत हैं, नवलख कंठा हार। घेरदार घुमे घाघरो, नाचे मुळकै नार।। तेज  दुधारी  तेग सूं, खारो इणरो  वार। आर पार हिवड़े हुई, कातिल नैन कटार।। गजरो महकै गैसुओं, मेंहदी हाथों माय। शिख बलखाती नागणी, बजत पाजेब पाय।। कामण कँवली फूल सी, कंचन वरणी देह। पिव भटकै परदेशड़े, छोडे धण धन ऐह ।। काठी कटि तक कांचली, जबरी थिरकत जांघ। बलम देख बिलमायगी, झूमे सीमा लांघ।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

दीप चारण

पत्नी जा जद पीहरे, हिवड़ो होय विरान। टिंगर जै संग टूरिया, (तो) घर लागै सुनसान।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण एटेंड फंगसन एक, कियो ना किणी कारणे। देख दीपिया देख,  सब्ब रिसाज्या सासरिया।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण जोरू रूठी जोर, बात रात सों नह करे। छाय तिमिर चहुँओर, दिखे नही कछु दीपला।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण के अपणो से रूसणो के अपणो से खार। मतभेद भूल माफ़ कर पड़सी जद ही पार।। अपनों से क्या तो रूठना और क्या द्वेष रखना। मतभेद भूल,माफ़ करेंगे तभी काम चलेगा।। परणी देख्यो पीवतां,(मैं) गुड़काय दी गिलास। सखा शराबी जाणियो, ख्यालां कर्यो खलास ।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण कामण फूल गुलाब रो, खामँद सरवर कीच। बालम चातक बिलखतो,देख चंद  दृग मीच।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण साजण आयो हे सखी, टूट्यो न गल्ल हार। झूक न कर्या ज्वारड़ा, रूठ गयो भरतार।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण बालम बाढाणे चला, सजणी सूण संदेश। पीहरिये तूं पोढजै, दीप छडे भू देश।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण बालम बाढाणे चला, सजणी सू...

समाज रा ठेकेदार

मोटी मोटी हस्तियां, मोटी मोटी गल्ल। स्वारथ सोधण आपरो, टणकी राखे टल्ल।। मोटी मोटी हस्तियां, मोटी मोटी गल्ल। बाले कच्ची बस्तियां, हलावता निज हल्ल।। मोटी मोटी हस्तियां, मोटी मोटी गल्ल। दीन री डूबो कस्तियां, माल खा करे मल्ल।। लूंठा बणे समाज रा, ठावा ठेकेदार। ठोकता माल ठावको, काढ काढ कलदार।। छोटा ने नाही गिणत,(ऐ) मोटा मोटा लोग। चमचा राखे चौतरफ, भोगे छप्पन भोग।। पापी बडा प्रवीण,सोशण खून समाज रौ | बजावै चमचा बीण,बोळां आगै बापड़ा|| बार बार धिक्कार , डग पर म्हैं नी डगमगां। आंख समों अंधकार, देखतां जगे दीपड़ो।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

सात सहेलियाँ

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सत उभी सँग सहेलियाँ, गाती करती गल्ल। लाज रख लाजवंतियां, भोली भाली भल्ल।। સત ઉભી સઁગ સહેલિયાં, ગાતી કરતી ગલ્લ । લાજ રખ લાજવંતિયાં, બોલી ભાલી ભલ્લ ।। °°°°°°°°°°°°°°°°દીપ ચારળ (બૈહ ચારળાન)

ईशा अंबानी

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साड़ी सोल करोड़ री, अरबा रा अलँकार। ईशा पूजण शिव गवर, सजे सोल सिणगार।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

फूटकर दोहे सोरठे 3

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दल इण खातर दौड़ता,भाज्पा या कांग्रेस। जन ने  खवाय जूमला ,ऐ तो करसी ऐस ।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण दल बदलने से कुछ नही होगा सब दल सब नेता एक ही थैली के चट्टे बट्टे हैं । तन मरकट नथु बावरा, सिंढायक सदा समीप। दयाल कैलास ऊज्लियो,अर ठावो कवि दीप।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°नाथुदानजी आशिया गिन गिन गुजरै रैन, आवण साजण आश में। नाही लागे नैन, औजका कर हुं अडिकती।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण ढोली ढमका ढोल, घूमर गोरड़ घालियू। कर्सी घणीह घोळ, नार निहारे नाहड़ो।। ઢોલી ઢમકા ઢોલ, ઘૂમર ગોરડ ઘાલિયૂ । કર્સી  ઘણીહ ઘોલ, નાર નિહારે નાહડો ।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण धोरा-धरती, आंधी, अरु पीव री अडीक। पल्लो उडावती पवन, नैणा रलगी रेत। बाटां जोवे बावली, खामद अडिकै खेत।। પલ્લો ઉડાવતી પવન, નૈણા રલગી રેત । બાટાં જોવે બાવલી, ખામદ અડિકૈ ખેત ।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

भूपत दान संचाणा

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संचाणो दे साद,पुकारे सागर लेहरां। यदुवंश करे याद, भूपत ग्या भगवान रे ।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

गणतंत्र

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हमारे भारतदेश का संविधान कई देशों के संविधान की नकल कर करके बनाया हैं जैसे मूल कर्तव्य, नीति निर्देशक तत्व, मूल अधिकार, इत्यादि....................... । पढ पढ पढ पर तंत्र, विद्वानांह बणाइ विधि। गजब मना गणतंत्र, जन गन मन जन गावता।।  छिन छिन चूंसे खून, नेहरु गांधी री अकल।  कढ्यो अंध कनून, नाजोगाॅ कर कर नकल।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

भंशाली संजय लीलो

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पद्मिनी सिंहल द्वीप(श्रीलंका ) की राजकुमारी और मेवाड़ के राजा रतनसिंह की पत्नी थी। 1303 में जौहर किया था इन्होने........ । नागमति चितरउ पथ हेरा। पिउ गये फिर किन्ह न फेरा।। हीरामन सुवा काल भयेहू। ले गवा मुवा मोरा पीऊ।। मलिक मोहम्मद जायसी अधिक जानकारी के लिए मेवाड़ का इतिहास पढो। (सोरठा) मूवी फूहड़ मेक, सजायो जयगढ संजिये । थापॉ दीनी टेक, सेट तोड़ रिधु सैनिकां।। भेला कर कर भांड, सुटिंग करण लायो सँजे। खाय चूरमो खांड, भाज गया सब भांडड़ा।। (रोला) पद्मिनी बने फिल्म, सोचे भंसाली लीलो। पा रजपूतां चिल्म, कर दियो रातो पीलो।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

शहीद जगदीश विश्नोई बीकानेर

तन अरियां रा तोड़, हेत लड़ियोह हिन्द रै। जम्भ तना कर जोड़, जगदीश जंग जूझियो।।  होली तणा हुड़दंग, वीरले विश्नोई किया। रम जबर लहू रंग, सिधाय जगदिश सूरमो।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

चारण अर चोहान

चारण चौहान प्राण दे भारत भोम कारणे रच गीत प्रीत रीत रचे इतिहास है। आन बान शान दान की होवण न दे हाण, आद शक्ति आवड़ा पे करत विश्वास हैं। लोक लाज मरजाद रखण करत काज सुमति चित साज ये होवै ना हताश है। उपकार सदाचार वेहार उत्तम करे अरी ओगण भंजकै, करत उजास हैं। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

मीरा और सांवरा कवित

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मेरो तो हैं नंदलाल, जैरै मोर पंख भाल, जैरै रंग रंगी लाल, नैण जाय लड़ीया। मन में माधव तेड़,इकतारे तान छेड़, पद्य री बणार मेड़,मीरा खेत खड़ीया। बिरहा बरखा नोय, बोल तणा बीज बोय, नेह रा निदाण होय, कोठा लाटा घड़ीया। फसलां रा लागा ढेर, मधुसूदन की मैर, तन मन गाय टैर, माधे मांहि बड़ीया । °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण भावार्थ मीरा कहती है कि मेरा तो सिर्फ नंदकुमार हैं वहीं जिसके सिर पर मोर पंख हैं मैं तो उसी के रंग में रंग गई हूं उसी को मेरी आंखें देखती हैं मैने अपने माधव की छवि बनाकर इकतारा वाद्य यंत्र पर तान छेड़ अपनी रचना रूपी मेड़ बनाकर अनुराग से ह्रदय रूपी खेत खड़ दिया हैं उसमें बिरह रुपी बादल बरसाये अर्थात आंसू से भी उसे सींचा हैं, मैंने उस श्याम नाम उच्चारण के बीज बोये हैं, स्नेह से निदाण कर खपतवार हटाकर तथा भक्ति रुपी फसल लेने व रखने के लिए कोठियां और लाटा बनायें हैं अर्थात हृदय को शुद्ध कर उसका स्थान बनाया हैं। दयानिधान उस मधुसूदन की कृपा हुई है भक्ति रुपी फसलों का ढेर लगा हैं तन मन से उसका गुणगान करते करते मैं उसमे समा रही हूं।

पोंपा बाई

कूड़ि योजना कागजी, ज्यूं जांफल रो जूस। जनता तो बम जाणियो, फूसकी निकली फूस।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण राजे मुखिया राज री, सिर चढ़गी सरकार। भल आई भरतार तज, आ पोंपा (बाई रो) अवतार।। जीभ चलाइ लुभावणी, इण पोंपा (बाई रे) अवतार। वादा किना वडा वडा, (पण) बजट दियो बेकार।। डीगी डींगा हाक, बोट पोंपा(बाई)बटोरिया। धराह जमते धाक, बचन सकल आ बिसरगी ।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण पोपां थारी प्रोल, ऊंची भलां अकासड़े। बजे वोट रा ढोल, थड़ थड़ थिरकिज जावसी।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण रूलती फिरे......., नोट बुहारै बापड़ी। कंकर गिणाय खांड, पोठे नै पैठो कहे।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण रिक्त स्थान भरिये फिर पढिये विधवा नाहि.................., रैयत काहे रोय। रांड रांड सब जन कहे, रानी कहे न कोय।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण खावे कुतिया खांड, किंवाड़ रसोइ (रै) कोयनी। रानी बणगी........, हिंसा कर कर हिड़कणी।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण मारे    लट्ठ     जोर, बेरहम   बा    बसुंधरा। भल्ली...

लाखन सिंह जोधा

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मानता री मोहताज हैं, मायड़ भाषा दीन। लाखन जोधा लाखिणो, साहित रो शोकीन।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

दानवीर कलयुग रो मुकेश अंबानी जीयो रिलायंस

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कूटी कपटी कम्पनियां, फोड़े ओफर बंब । मीठा दिय फल मौकला, अंबानी ब्रख अंब।। लूंठो धीरू लाल, दे जियो फोन जिवाड़िया। कर्या मूफत कॉल, रंग घणा रिलायन्स ने।। फोर जी थँब लगार, रेटां बिन डेटा दिया। धीरूसुत दातार, कलयुग मांय कर्ण हैं।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

गोगली अर तेमड़ेराय मंदर

आवड़ थारो आसरो, तेमड़ेराय थान। सखरो भू मो सासरो, गदगद करु गुणगान।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण गोगली कर गुरूर, तकरांरा ताला जड़े। चारणां रोट चूर, जीमो घरांह जाय नै।। भलीह करसे भगवती,गोगलियां री फ्रस्ट। मांगों  की थे मंदरिये, थांरो  नाहीं  ट्रस्ट।। लंगर नवदिन ल्गावता, चारण आये चार। ताचकिया मढ तेमड़े, खाय गोगली खार।। देख हसे है डोकरी, सुत चारण रजपूत। कूटिजे  हक्क  कारणै, दोनूं  पूत  कपूत।। लंगर ऐथ न लागसे, रोड़ चढ नाप राह। कपूतां नाम काढियो,बाजि री झाल बांह।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण जय हो मां तेमड़ेराय री दोगल गोगल भोगल होयर भेलिय थानड़ तैमड़ हालो। लाय करोत हथोड़ धबीड़ गबीड़ भचीड़ इ तोड़ इ तालो। लालच लोकर माल इ माखन खावन मंदर अंदर वालो। चारण ट्रस्टज कारण कष्टज झैल रयो नित होयर कालो। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

सिंढायचों री कुलदेवी बायण जी

देख कृपा कर दीप पर, बायण माई बाप। ऊभो शरणे आपरी, काटो कष्ट अनाप।। चितरउ राख्यो छांव में, भट जूंझ्या कर चाव। पड़ियो दीपड़ पांव में, करजो बायण छांव।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

सुपखरो कृष्ण भगवान रो

बिछिया बजावां छड़ा छणकावां गीत गावां, नाचां झूमे घूमे चूमे जपे त्मारो नाम। गोपी कै गा गाना छाना माना छूप ना सुजाना , सूर साधे धेनू बांधे रीझा राधे श्याम।। ग्वाला वृंदावन वाला नाग ने नाथण वाला, नट्ट खट्ट नंद लाला जोड़ा तनॉ हाथ । वनवारी गिरधारी तन्न मन्न सब्ब हारी, दीन री पूकार सूण आओ दीनानाथ।। सारी रो बधायो चीर टेर द्रोपदी री सुण ताण ताण थ्काया दुसासण पाण। कौरवांरी देखे बुद्धि भीर आयो पांडवांरी बंशी बजाये चलाया थें पार्थरा बाण।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

मित्र स्वरूप सिंह भाटी गोरड़िया

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सासरिये री सैर, सजधज हाल्यो सुगन ले । पाघ पिचरंग पैर, गदगद सरुप गोरड़ियो।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण संभाल ले'र सांतरी, पाल हिये बिच प्रीत। सजधज आयो साहिबो, सखिया गावो गीत।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण भल्लो कुल अति भाटियां,किताई ढाया कंश । भेर आवजो सांवरा, वधाय स्वरूप वंश।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

फूफोसा रो अश्व पवन

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तिलवाड़ा मेले में मेरे फूफोसा शैंषकरण दान देपावत साब का प्रिय अश्व पवन रहा अव्वल। नस्लॉ मालाणी अवल, सुंदर सुत पवन नाम। टापॉ टपटप टण्णकी, देखो मत ना दाम।। पवन देशाण पल्लियो, मालाणी हय मोड़। मैलॉ छायो मौकलो, तिलवाड़ा रिकॉर्ड तोड़।। लेवणिया तो लेवसी, बेचणिया मत बैच। लाणो कोनी दीपसा, ले लां लगाम खैंच।। तुरियो ताबड़तोड़, खड़ड़ नाल खड़कावतो। देख दीपिया दौड़,पंख बिन उडे पवनड़ो।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

बैह चारणान्

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जोधपुर दरबार सुर सिंह एक बार कहीं से युद्ध जीत के वापिस लौट रहे थे । उनकी सेना में मोगङा गांव के चारण राम दान जी सिंढायच साथ में थे। रात हो गयी रास्ते में तो लुणी नदी की आछी रेत में डेरा दिया । विश्राम कर रहे थे । तो रात के दुसरे पहर राम दान जी को कुछ देवीय दृस्टांत हुआ ।उन्होंने ने सेना पति से कहा की हम यहां नहीं सोयेगें पहाङी पर डेरा ले जाणे के लिये राजा से कहो पर सैनापति ने क्हा सो जावो बाजी रा अमल डोडा उतरियोङा हो ई इंज गांगरा करे सो जाओ तब राम दान जी स्वयं जाकर राजा को यही बात कही राजा बात मानकर सैनिको को कहा जो हमारै साथ आना चाहे वो पहाङी पर आ जाओ और जो यहीं सोना चाहें यही रहो ।आधे से ज्यादा सिपाही साथ चले गये कुछ सैनिक वही नदीं की आछी रेत में सोते रहे। रात में अजमेर नाग की पहाङी पर जोरदार बारिस हुई । जिस कारण जो लोग नदी में सोये थे । वो बह गये ।पहाङी पर जो गये वो बच गये। राजा ने रामदान जी को जान बचाने के लिये सुक्रिया अदा किया ओर युद्ध के बाद छुट्टी जाकर वापिस आने पर जागीर में गांव देने का वादा किया । रामदान जी मोगङा गये वहा परिवार में आपसी कलह के कारण कटार खा कर आत्म हत्या...

कोयल अर वियोग

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डाल पिपलिये बैठकै, कोयल तू मत कूक। परणी पीहरिये गयी, हिवड़े उठती हूक।। हिवड़े उठती हूक, चित्त ने नाही चैना। चातक चांदो चूक, नित्य बरसावै नैना।। बधे दीप रो दूख्ख, खेत हिवड़े रो खाली। कोयल तू मत कूक, बैठ पीपलिये डाली।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण .