सुहाता नहीं जाम

सुहाता मेरे हाथों में तुझको ये भरा हुआ जाम नहीं ।
आठ पोर तेरा  रूठनें के सिवा कोई और काम नहीं ।
इबादतें इश्क की ये कैसी इम्तिहान तुम लेती हो ।
सुन सनम बेदर्दी महखानों का मैं महकश बदनाम नहीं ।

••••••••••••••••••••••••••••••••दीप चारण

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