मन
कबु डाडे कबु नाचतो , फोरे पल पल टेर ।
मन जाणे ज्यों मोरियो ,पँख फैलातो फेर ।।
•••••••••••••••••••••••••••••दीप चारण
मन्न घणोई मौजिलो, खोजिलोह अणनामि।
जिण जन जन ने जकड़ियो, डोरी हाथां थामि।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
मन्न रा मता है मौकला, भ्रांति मेट श्री कान्त।
पीड़ा ना है प्रीत री, मन फिर क्यूं अशान्त।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
मौजा मन री मौकली,गमी कमातां नोट।
दोनूं खानी दौड़ता,ठावा ठावा ठोठ ।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
मन जाणे ज्यों मोरियो ,पँख फैलातो फेर ।।
•••••••••••••••••••••••••••••दीप चारण
मन्न घणोई मौजिलो, खोजिलोह अणनामि।
जिण जन जन ने जकड़ियो, डोरी हाथां थामि।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
मन्न रा मता है मौकला, भ्रांति मेट श्री कान्त।
पीड़ा ना है प्रीत री, मन फिर क्यूं अशान्त।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
मौजा मन री मौकली,गमी कमातां नोट।
दोनूं खानी दौड़ता,ठावा ठावा ठोठ ।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
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