दो दोहा इंतज़ार रा (कारा अरुण सुर्यवंशी की फ़ोटो )

गजरा लगा'र गैसुओं , सज नित नव सिणगार ।

खिड़की हिय की खोलके , करत आ इंतजार ।।

••••••••••••••••••••••••••••••••••दीप चारण

मृगतृष्णा ज्यों माहिया , जोवत पाछल फोर ।

पलकें प्यासी पीवजी , भयी अडिकतां भोर ।।

••••••••••••••••••••••••••••दीप चारण



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