इतिहास


सिमट गयो इतिहास सगलो ,अबे  पोथियां रै पांना में ।
नुवो अध्याय रचण रौ ,नी रह्यो अबे   साहस बन्ना में ।।
मायङ भोम रा चारण डुबोङा आपु आप रै सुपना में ।
वा मिठास नी रह्यी अबै ,रजवट रै खेतां  रै गन्ना में ।।

कवि दिप चारण

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