गौउ उछेरे गोपियां, गौ टोले गोपाल। हे हो हे हो हांकता, बूहा ब्रज रा बाल।। वृंदावन कानो वहिर , धेनॉ टोले धोल । भेलो भातो भायला , खवाईस मन खोल ।। डीगी हाथों डांग, बगल भात री पोटली। लोचन घूघट लांघ, ग्वाल निहारे गोपियां।। गौ टोले गोपाल , गीत मुरलिये गावतो । भूली गोपी भाल , काम निवेड़ा कालिया ।। खेतां चराय खोपियां , खेलतो रास खेल । ग्वाले राधा गोपियां , मोकली प्रीत मेल ।। रसिया आई रमणिया, रास री लेय आश। छनन छड़ा छनकारती,राधा माधे ! खास।। मन मोहन बजत मुरली , पुगी गोपियाँ पास । बलम बिन बनी बावली , रमे स्याम सँग रास ।। रंग ले माखण मट्टका, पूगी भर पिचकार। मुख ऊपर रगड़े मखन,छोड़ रंग बौछार।। गोपी सुध बुध बिसर गी , पाय स्यामलो पास । डग डग बजाय डंडिया , रमे स्याम सँग रास ।। डणण डणक्का डंडिया , छणण छड़ा छणकार । राधे माधे सँग रमी , घट पटक घूँघट घटा'र ।। ले गो मन हर संग , नैण बाण मारि नट बण । रति रलि गोपी रंग, मदन सदन अँग माधवा।। श्याम भिगे राधा भिगे, भिगे गोकुल ग्वाल। रलल रल श्याम रंगमें, गोपियां भयि गुलाल।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण फागण श्यामो गावै क...