भुजंग प्रयात लक्ष्मी मां स्तूति



।।सौरठा।। 
कमला आ सह कंत, पाण पसार पगे पड़ॉ। 
साद सुणोह तुरंत, जगमगं 'दीप' जगमगे ।। 

देवी तू दातार, देख आय दीपावली। 
लूळ लूळ लाचार, जगमगं 'दीप' जगमगे।। 

टूरती सुणो टेर, विसाइ ले विष्णूप्रिया। 
मुळक मुळक कर मैर, जगमगं 'दीप ' जगमगे।। 

सुखी रहे संसार, मन नित नर नारी मुदित। 
सागर तनया तार, जगमगं 'दीप' जगमगे।। 

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण



श्री लक्ष्मी अष्टकम् दीप चारण कृतं 

-:दोहा:-


दारिद्रता ने तुँ  दले , अड़चन रो कर अंत।

तत्काल दीप तारने,कमला आ सह कंत।।


पधारो पदम्मासनी , प्रणमूं पसार पाण ।

 तत्काल दीप तारते, कमला रखो न काण।।


••••••••••••••••••••••••••दीप चारणमम


छंद :- भुजंग प्रयात  

रुखाली रखो लाज रम्मा रुपाली  ।

सदा  पाण  प्रासाद  दीजौ   दयाली ।।

नमो  श्री  पदम्मासना  मां  नमूं मां।

खमा मां खमा मां रमा मां नमा मां  ।। [1]

कँगालीय काटो सदा मां कमल्ला ।

चमम्को पधारे चँचल्ला चपल्ला ।।

टिमा टीम भाग्यं चमंका सितारो ।

तिहारे पगां भाग जागै हमारो।। [2]

करं जोङ मांगूं दिदारं नमा मां ।

धरो पाद धम्मा धिमा श्री रमा मां ।।

रमंतीय सीता मनं मीत रामा ।

रुकम्माय राधाय स्नै पाय स्यामा ।। [3]

बिराजौ   मयूरासनी  मां  सयानी  ।

उजाड़ै  असूरां   तुही  मां  भवानी  ।।

नमो  मां  रहो  मां  रमंती  रमा मां  ।

पधारो  रमो  मां  पदम्मा  नमा मां  ।। [4]

तुँही सिन्धुजा सागरं मा बिराजं।

सहायं करो आय सुण्नै अवाजं।।

सुणो मोरि बांतां घरां आय माता ।

कलल्दार दाता तुँही मां विधाता ।। [5]

महिम्मा तिहारी न जाये बखाणी ।

पलक्कं झपक्कं रचंती कहाणी।।

रमंती  दुखं दूर भग्तां करंती ।

भमंती भमंती भखारी भरंती  ।। [6]

कमल्लासनी मां कृपा तो करोनी ।

भरो मां भरो मात झोली भरोनी ।।

खिलंती खिलंती रमा खोल खातो ।

सदा साद दे दीप दीपं जगातो ।। [7]

रमेशं सुरेशं धयावै हमेशं ।

अलंकार अंगं भुजंगं केशं ।।

सदैवं अदेवं नमे मात देवं ।

सुनो मां पुकारं करे दीप सेवं ।। [8]


••••••••••••••••••••दीप चारण


छप्पय छंद 

कमला आ सह कंत, बालक रे घर बिराजो। 
कमला आ सह कंत, सदा सुख समृद्धि लाजो।।
कमला आ सह कंत, कारज सब सिद्ध कीजो।
 कमला आ सह कंत, दीप ने दर्शन दीजो।
पाण जोड़े पुकारतो, नित्य करूं स्तुति सांतरी। 
रमा माँ लाड राखजो, बरसाय कृपा आपरी।। 

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण









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