शरणागत ने दे शरण, धरम पाले सपूत ।

सीस न अरि संमुख नमे, रीत रखै रजपूत ।।

……………………………………………दीप चारण

बल बताय निरबल ने , छल छलकाय कपूत ।

 कदर न करे चारण की , वो कैसो रजपूत ।।

……………………………………दीप चारण

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