जयमल मेड़तिया
जयमल मेड़तिया ई. स. 1567-68 मेवाड़ सेनाध्यक्ष।
माह सतरह सितम्बरे, सन पनरै सौ सात।
वीरमदे घर आवियो, जयमल जग विख्यात।।
संवत पनर सौ चउसठे, वार शुभ शुक्रवार।
आश्विन शुक्ल एकादशी, जनमियो जय जुझार।।
खोसया मालदेव सूं, न रख्या चिह्न नगार।
जयमल जोद्धा जोर रो, उच्च कोटिय उदार।।
लारो भूंडो मालदे, जा जा लियोह जोर।
खोस्या बैरी खोट सूं, मेड़त अरु बदनोर।।
चित्त बसा चित्तोड़, अकबर सम जाय अड़ियो।
सरदार तु सिरमोड़, वीर वीरमदेराउत।।
झेल्या पग पग जूद्ध, जंग किताई जीतियो।
मुगल हुय मंत्र मुग्ध,वीर वीरमदेराउत।।
चारभुजा चित धार, चतुर्भुज रूप रण रमे।
कर मुगला पर वार, वीर वीरमदेराउत।।
भेलो रमे भतीज, काको उंच खंदोलिये।
पलकती पाण बीज, पड़ कड़ड़ड़ अरि पाड़ती।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
माह सतरह सितम्बरे, सन पनरै सौ सात।
वीरमदे घर आवियो, जयमल जग विख्यात।।
संवत पनर सौ चउसठे, वार शुभ शुक्रवार।
आश्विन शुक्ल एकादशी, जनमियो जय जुझार।।
खोसया मालदेव सूं, न रख्या चिह्न नगार।
जयमल जोद्धा जोर रो, उच्च कोटिय उदार।।
लारो भूंडो मालदे, जा जा लियोह जोर।
खोस्या बैरी खोट सूं, मेड़त अरु बदनोर।।
चित्त बसा चित्तोड़, अकबर सम जाय अड़ियो।
सरदार तु सिरमोड़, वीर वीरमदेराउत।।
झेल्या पग पग जूद्ध, जंग किताई जीतियो।
मुगल हुय मंत्र मुग्ध,वीर वीरमदेराउत।।
चारभुजा चित धार, चतुर्भुज रूप रण रमे।
कर मुगला पर वार, वीर वीरमदेराउत।।
भेलो रमे भतीज, काको उंच खंदोलिये।
पलकती पाण बीज, पड़ कड़ड़ड़ अरि पाड़ती।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
Comments
Post a Comment