सपाखरो आनंदपाल सिंह रो
सपाखरू आनंदपाल सिंह रो (दीप चारण कृत)
हजूरी तू काठे हिये वाळो वीरता सूं जीये वाळो,
पढ्योह लिखो बीएड वाळो मत्तवाळ।
गांम मां रैहण वाळो जूल्म ना सहणवाळो
जूल्म देख उठाई बंदूकां तेग ढाळ।।
भौं भौं भौसता कुत्ता आया समर्पण को बुलाया,
धाड़ धाड़ धाड़ बाया फायर अनाफ।
नेतॉ ऐ बीज बोया माता ने ऐक बेटा खोया,
खूटो मांग रो सिंदूर टाबरांरो बाप।।
जूत जूळम्यां जीमावणआळा ऐ के सैतालीआळा,
संगी थारा धोळा काळा बणायो त्नॉ ढाळ।
जैल सूं छूडावण वाळा जेल सूं दौड़ावण वाळा
रांडा भांडा होय भेळा मरायो आणंद पाळ।।
गोलो कह चिड़ायो त्नॉ फिर उंचो चढायो त्नॉ,
राजनीति खेळ रांडा भांडा ठायो त्नॉ शेर।
चाळ ढाळ जो चुनावी खतरों जाण त्नॉ भावी,
दूतॉ कुत्तों छोड़ लारे धोखे कियो ढेर।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
आनंदपाल चालिसा
अणंद पाल तु दे दे परचा।
(दीप चारण कृत)
।। दोहा।।
बैरण सूण बिछूंदरी, गले न थारी दाळ।
भैला बोलो भायळां, जय जय अणंदपाल।।
बिछायो नेता पुलिस मिल, हत्या रो इक जाल।
धोखाधड़ी सू पाड़ियो, नाहर अणंदपाल।।
जयो जयो जय अणंदपाला।
बिछूंदरी का कर मुँह काला।। 1
खोटी ये सरकार गिराओ।।
बदला लेने पुनः तुम आओ।। 2
जो भी है तेरा हत्यारा।
पिला जहर उसको भी खारा।। 3
आकर सपने नींद उड़ाओ।
तिल तिल तुम उनको तड़पाओ।। 4
जबर दस्त डर उनको लागे।
पेट पकड़ वो इत उत भागे।। 5
पाप उनके छिप नाही पावै।
अपराध उजागर हो जावै।। 6
सीबीआई झट जांच कराओ।
गुनहगार को जेल धराओ।। 7
करतूतें कर सभी उजागर।
जयो जयो जय अणंद सागर।।8
हत्यारे हो जेलों भीतर ।
पंख विहिन कर सारे तीतर।। 9
अणंद पाल तु दे दे परचा।
जल्द बंद कर अब सब चरचा।। 10
राजनीति जो तो पर करसी।
भुगत भुगत कर खल वो मरसी।। 11
तो खातिर जो बिगुल बजावै।
जग में सदा विजय ही पावै।। 12
दूस्मी कैसे जांच करावै।
निज कर कैसे खडा खुदावै।। 13
नसे नसे मॉनिटरिंग करी।
सरेन्डर शबद सुण इ डरी।। 14
मति गइ थी तब उसकी मारी।
अत्याचार कियो रै भारी।। 15
खोटा देख यह लोकतंत्रा ।
संविधान के झूठे मंत्रा ।। 16
कैसन करु ई पे विश्वासा।
चहुँफेर भई घोर निराशा।। 17
रोके न कोउ उसके पासा।
कब तलक चलेगा इ तमासा।। 18
अंधा भया तु क्यूं रै मोदी।
बैरण खांयां थारै खोदी।। 19
फसत रही अब पोंपा बाई ।
सी बी आई सूं घबराई।। 20
काली करि ही जिकी कमाई ।
क्रांति दबावण माहि लगाई ।। 21
मीडिया इ ली खरीद सारी ।
भैला लिय चमचा भी भारी।। 22
कैई कपूत होय बिकाऊ।
सोच रहे जन किकर दबाऊ।। 23
ठोको उनपे भी अब धारा।
निहथा कर जिस जिस ने मारा।। 24
घोर अमावस काली रात्री।
वीरगति गयो रै वो क्षत्री।। 25
करी गुप्त नवरात्रि तपस्या।
होय देवगत जन-मन बस्या।। 26
मानव मिल'र बणाओ मंदर।
आसी अणद पुजारी अंदर।। 27
नेता मिल टणकाई छांटे।
पोंपा रा वे चलवा चाटे।। 28
वोटां में अब खासी ठोकर।
पोंपा पाखे खोया वोटर।। 29
आवै दोय हजार अढारै।
दुस्मी सब तब थारा हारै।। 30
सांवराद धर तप तप तापी।
सूतो अणंद पाल प्रतापी।। 31
गूंजे जयो जयो जयकारा।
अमर रहे आनंद हमारा।। 32
टोप सिर हथ्थ बंदुक धारी।
स्कॉर्पियो बुलट करी सवारी।। 33
सकल जगत गुण तेरा गावै।
वंदन कर कर पुष्प चढावै।। 34
दौड़ दौड़ सब करीब आवै।
गुण थारा सब गरीब गावै।। 35
गुड़काओ सब धोला काला।
वीर वार जावै नह ठाला।। 36
जयो जयो जय बंदुक वाला।
जयो जयो जय अणंदपाला।। 37
सिघ्र अब्ब अरि राज उतारो।
पूर्ण काज कर स्वर्ग पधारो।। 38
हाजर होय अडीके हूराॅ।
सिघ्र करो अब सपना पूराॅ।। 39
दीप छंद रच कर बिरदावै।
अनंत परचा जग झट पावै।। 40
°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
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