डैण अर डोडी री विरह व्यथा रो कुण्डलियो छंद


डोडी प्यारी डैण री , जिम प्यारे पिय नैन ।
तड़फा दोनूं तोड़ता , पिये बिना नी चैन ।।
पिये बिना नी चैन , होवती अणुती देणा ।
टूटी नाड़ा ऐन, बेरण कटे इम रैणा ।।
दुपटी पी री चट्ट , चिविंगम ज्यॉ चबा छोडी ।
मरजा मोदी फट्ट , बंद क्यूँ की तें डोडी ।।

•••••••••••••••••••••••••••दीप चारण

Comments

Popular posts from this blog

काम प्रजालन नाच करे। कवि दुला भाई काग कृत

आसो जी बारठ

कल्याण शतक रँग कल्ला राठौड़ रो दीप चारण कृत