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Showing posts from June, 2015

बिरहणी रो कुण्डलियो

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                                           कुण्डलियो छंद                           बिरहणी भाल बिंदी सीस बोरियो , सोहे धण सिणगार । कंचन कगंन बांह मा , कण्ठा  दुलङी   हार ।। कण्ठा  दुलङी   हार , कर्ण  झन झुमरी झनकै । कचंन   वरणी  देह , पगां छनन छङा  छनकै ।। पक्या रसिला अंब , गुलाबी गल रहत गाल । बलम झङ रहे बाग , कंत आय घर सम भाल  ।। •••••••••••••••••••••••••दीप चारण

रमत्या बेचण आली

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गांव ढाणी गली शहर  , करे गौरङी कूच । रमती बेचे रमतिया , ओडो  माथै  ऊंच ।। चमकै चुड़लो हाथ मा , लटकै कटि तक बाल । लाली अधर लगा चली  , ओढ  ओढणी  लाल ।। गाय  गीत  आ  गौरङी , त्रिडोरियोह   ताण । रमजो राम लखण बणे ,  लेल्यो तीर कबाण ।। लूंठा लाई रमतिया ,  बिबङी  रा दे  बीस । घोङो   हाथी   घेटियो  , तीनां  रा  दे  तीस ।। …………………………………दीप चारण

विरहणी

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भोंह धनंख भुजंग सिख , तके प्रत्यंचा ताण । मार मस्त मारत पिया , बावरे नयन  बाण ।।   मगरा बोले मोरिया  , पिउ पिउ मचाय सोर  । नैणा गमाय नींदङी , बिरह जगाये जोर ।। सोल सिणगार सजण री, आइने जगी आस  । भाल समो भरतार जी , हरछिण हजार मास ।। सजनी सेज सजावती  , पुरण कद होय आस । बात दीप जलहल पुछत, पीय कद सोय पास ।। प्रीत पीर पनंग डसियू  , गरल गालियू अंग ।  भुजंग भगा भरतार जी  ,कर  विस झाङ सुचंग ।। म्हारै बागां मोरिया , ना कर पिउ पिउ सोर । ज़ोर  बिरह ज्वाला जगे  , कद मिल सी चितचोर ।। दिन उगे अरुं  आथमे , तजु नी आवण आस । पलकां पंथ बिछाय पिय , अडिकुं बारै मास ।। खामंद बिन सेज सुनी , कुण सुलझावै केस । अहनाण आंगलियां रा , पिय दे गयो विदेस ।। खामंद बिन सेज सुनी , कुण सुलझावै केस । अहनाण आंगलियां रा , लखाय लाम हमेस ।। वीणा बजाय बिरहणी , गीत बिरह रा गाय । नाह नरायण आय सुण , आतुर अधर बुलाय ।।  वीणा बजाय बिरहणी , तणणनं करत तार  । घन स्...

कविता पुष्प की नियति( दीप चारण)

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कविता   पुष्प की नियति ऐ पुष्प तुं खिलता हैं , अक्सर कीचङ में ।  कोई नहीं आता हैं , तेरे पास महक लेने । एक रोज कोई भक्त जन , ले जायेगा तुझे यहां से तोङ । बङे किसी  मन्दिर में , हरि चरण की शरण में  । सच्चा सम्मान तुं वहा पायेगा , धूप अगरबत्ती की महक में अपनी महक मिलाकर । लेकर आने वाला यहां, अपने मन की मुराद । तेरे सामने कर जोङ नैण मुंद , करके कोई उनसे फरियाद । तेरी कुछ पंखुङियां  पंडित से , निज मस्तक लगाय ले जायेगा । अपने घर के देव स्थान पर , सम्भाल कर अच्छे से रख लेगा । या कोई बनमाली तुझे तोङ सुई से एक धागे में पिरोकर रंगबिरंगी माला बनायेगा । वर वधू के द्वारा एक दूजे को  पहनाई जाऐगी । या ये माला किसी चापलुस द्वारा भ्रस्ट नेता के गले मे डाली जायेगी  । या किसी देशभक्त की चिता में जलेगी  । या गजरा बन किसी के गैसुओं में सजेगी  । दो आतुर मिलन के नवविवाहित वर वधु कि सेज की सोभा बन दो देहो के एकाकार का साक्षी बन  कर   हे ! पुष्प तुं मसला कुचला जायेगा । अने...

विरासत

विरासत जोधपरी परिधान पैर'नै लाग रिहा है फोटोग्रॉफी में । महल बणग्या होटल , विरासत डूबा रिया हैं गौरियां री कॉल्ड कॉफी में । निलाम करण लागां हैं बपोती तलवार ढाल आपु आप रो वेस । बिसरिया राज्य गीत केसरिया बालम आवो नी पधारो म्हारै देस । इण महलां माय पीये दारु सारु । सुण'नै मुमल कलाली ढोला मारु । गौरा गौरी संग ठुमका लगावै हैं । मेहमान बर्ने सुं पाछा घिर जावै है । जोधपरी परिधान फुटरा पैर'नै ,लाग रिहा है फोटोग्रॉफी में । महल बणग्या होटल , विरासत डूबा रिया हैं , गौरियां री कॉल्ड कॉफी में । गीर रियो हैं आज ,आपाणे मुल्क रौ मान । किंया गायो जावेला ,जय जय राजस्थान । इतिहास भूलो ,सगली बातां भूलो ,पण मत भूलो अतिथि सत्कार । जगत आज भूल रियो हैं , राजपूताना री जय जय कार  । जोधपरी परिधान पैर'नै , लाग रिहा है फोटोग्रॉफी में । महल बणग्या होटल , विरासत डूबा रिया हैं ,गौरियां री काल्ड कॉफी में । मुण्डों उतार नै नी जावणौ चहिजै ,आयोङो थांरी गवाङी में । भलां 'ई  बीक  जावौ ,घर को सारो सामान भाव कबाङी में । जोधपरी परिधान  पैर'नै ,लाग रिहा है फोटोग्रॉफ...

विकास जबरो विकास

कविता विकास जबरो विकास  गांव माय सङक नी बिजली नी संकङी पगडण्डियां लालटेण रो चानणो । बलद -ऊंठ गाडा रा चीला । कंटिला झाङ  ऊंचा -ऊंचा रैत रा टीला । चौमासे सूं पैलां आक खींप सिणिया काट सूङ करनै खेत सरिखो करता हा चार छउ आंगल मेह व्हेता ई खेत खङता हा बारे महिना रा दाणिया व्हेता तो ठीक नी तो काल पङतो मिनख ढांडा ढोर लेय 'र सिंध मालवे काठियावाङ  कानि टुरता हा मेह होवता  ई पाछा गांव वलता हा । पण मिनख सुखी हा थोङे मायं घणी तृप्ति संतुस्टी पण गांव  पिछङ्योङो बाजतो । अबै सङकां बणगी आवणो जावणो सोरो पगडण्डियां मिटण लागगी । बिजली फूल इमरजेंसी लाइटां लालटेण तो तोङ फोङ खटिकङे नै बेचनै टाबरा भुगंङा खा लिया । बलद -ऊंठ गाडा , इक्का दुक्का ई नी दिसे टेक्टरां रा चीला खेत सरकार अर मोटी मोटी कम्पनियां थोङी घणी रकम देयनै खोस लिया । रकम किसानां निठोय दी , खेत ग्या रकम गी । अबै खेतां माय कोयलो निपजै उंडा उंडा खाडा , ट्रकां  मोटरां मांय भरिज भरिज पावर प्लांट जावै कोयलो । मोटी मोटी चिमनियां धधक धधक उङे ,  धुंवै रा खै...
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देखे ठरको अरु ठाट , इतरा मत इंसान । जलेंगें सभी एक घाट , देखे सब भगवान ।। ……………………………दीप चारण
शरणागत ने दे शरण, धरम पाले सपूत । सीस न अरि संमुख नमे, रीत रखै रजपूत ।। ……………………………………………दीप चारण बल बताय निरबल ने , छल छलकाय कपूत ।  कदर न करे चारण की , वो कैसो रजपूत ।। ……………………………………दीप चारण
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बरसालो अर अनावङो अड़ड़ करत आय आंधी ,घररर घन गरजीय । पला पल बीज पलक्कै , घोर  मेघ  बरसीय  ।। कड़ड़ कड़ खैण कड़क्कै , पड़ड़ड़ पड़े पनाल । पीय  परदेस  रंजियो , सेजां  धण  बेहाल ।। असाढ अंबर गरज्जै ,घम घम मेघ घुरंत।  चमक तेग वेग चपला  , धण ऐकली डरंत ।। काळ भयी रैण काली , घरां ऐकल डरंत।  बाट जोउ आय बार्ने , बेगौ   आये   कंत ।। घणी होय तड़ित हिड़की , खीण खीण मुइ खाय । परदेस जा बसे पिया , जल झड़  तन  झुलसाय ।।    चपला  देखे  चापली ,  सजनी  रजनी  माय । प्राणहीन तन लाधसी  ,नाह जे तु नह आय ।। ••••••••••••••••••••••••••दीप चारण

श्री सरस्वती अष्टक दीप चारण कृत

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श्री सरस्वती अष्टक  दीप चारण कृत                          -:दोहा :- वीणापाणी देय वर , करे पूर्ण हर आस । शब्द दे मात शारदे , दीप में कर उजास ।।         सब्द दे मात सारदे , गणपति दीजौ ग्यान । लेतो कर जद लेखनी , धरूं आपरो ध्यान ।। गाए गुण गणराज रा, धरे कलमधर ध्यान। सिंवरै माता शारदे , दे दे विद्या दान।।  भुजंगप्रयात नमो शारदा दे गियाना तराना । न कोई गियानी तिहारे समाना ।। सदा मात वीणा बजाती रहाणी । नमो वेद बाणी नमो वीणपाणी ।।  [1] नमो पुस्तकं धारणी तारणी मां । नमो सब्द उच्चारणी चारणी मां ।। बजा मात वीणा कृपा मां बधाणी । नमो वेद वाणी नमो वीणपाणी ।।  [2] सरोजासनी मां करे तुं कमाला । जगाती सदा ज्योति होता उजाला ।। उचारीय  गीतां सुरीलीय  वाणी ।  नमो वेद वाणी  नमो वीणपाणी ।। [3] तु ही ज्ञान गंगा सदा मां बहाती । विधा  दान पानं हमेशा कराती ।। गुँजातीय ब्रह्मांड माँ ब्रह्म राणी । नमो वेद वाणी नमो वीणपा...