पदमण रतन पिचहतरी दीप चारण कृत
पदमण रतन पिचहतरी दीप चारण कृत
शब्द दिजै मां सारदा, गणपति दीजो ग्यान।
रीत लिखतां पदमण री, धरू आपरो ध्यान।। 1
रतनसिं रंगमहेल, निहारन लगो नागमति ।
रूपल दीठी पैल? पुछत नागमति कंत नै।। 2
उड़ हीरामन आय, कैय तुं उण समि कैंइ नी।
जोय रतनेश जाय, सिंहल द्वीप री सुंदरी।। 3
सटपट सूवे संग, सिंहल द्वीप दिस रतनसीं।
टूरिया अश्व टंग, पथ झट झाल पदमण रो ।। 4
बड़बड़ सूवो बात, सैं मारग सूणावतो।
रतन कढे दिन रात, दिस पदमण री दौड़तो।। 5
सूवे रो हैं संग, सफर रतन रो सांतरो।
आइ अबखाइ न अंग, डीगे डग डगला धरे ।। 6
बूहो महिना बार, मार्ग अथक पग मेलतो।
पूगो समंद पार, अंक ले सुवो लंक में।। 7
काट्या न दाड़ केस, मेवाड़ेश कइ मास सूं।
भग्वो धर कर भेस, फिरे गढ लंक बारकर।। 8
बरस आठ उत बैठ, निरखे पदमण निज नजर।
हरकत करत वट हेठ, भाल्यो इक दिन भूप जी।। 9
मत रह साधू मौन, हकीक़त आज हांकरों।
क्षत्रिय थूं है कौन, जोगी तु न मैं जाणतो।। 10
सटकै कहियो सांच, रतन गन्धर्व सेन ने ।
ख्याल पदमणी खांच, लाय रतनेश लंक में।। 11
गल लग गंँधरव सेन, गढ रतनसि ने ले गयो।
निखरत पदमण नैन, सुदबुद बसरे समरसुत ।। 12
कंचन कटार नैन, मोतिन समान दंतमिसि।
कोकिल किलोल बैन, पारस मणि पद पदमणी।। 13
मयंक पदमण मूख , वासँग नाग सं केश है।
हिय झट उठगी हूक , चितरउ भूप चकोर के ।। 14
भूप कराई भेंट, रतन ने लाय रावले।
ठाकर त्कां तक ठेट, सेंधा हुयगा सैण जी।। 15
गोरा गठिलो जोर, बादल बरसा बार रो।
शिकार (रो)चलियो दौर, हार जीत पे हाँसतां।। 16
चूटिया भरसुं च्यार, बात बता दे बादला।
देव कूण हो द्वार, पूछत गल्लां पदमणी।। 17
दीदी तो दीदार, कारणे आय कुँवरजी।
पूगो सागर पार, राज ताज तज रतनसीं।। 18
बादल बाताॅ भाल,लाजे पदमण लूकगी।
प्रीत हिये में पाल, दौड़ रतन ने देखती।। 19
प्रीत चढी परवाण, शर्त रख माले सात री।
पदमण देयर आण, नजरान मँगे रतन सूं।। 20
सँग हिरामन सँदेश , मेवाड़ेश इ मेलियो।
आपरो जो आदेश, पलकां राखूं पदमणी ।। 21
चढ्यो शुक कँध चाढ, चांद रो देख चांनणो।
गाढिले लगा गाढ, मेल्या पग निठ मालिये।। 22
पद्मिनी रतन नैन, परसपर मिले प्रीत सूं।
चित्त ने आय चैन, हीये लागा हरखतां ।। 23
समरसुत लगे श्याम, रुक्मण जेड़ी पदमणी ।
कैड़ोक ठयो काम, सोच्यो गँधरव सेन सा ।। 24
पंडित (ने) सावो पूछ, बेगो मांडे ब्यावड़ो।
म्रोड़तो रतन मूंछ, चढ्यो भचकै चंवरी ।। 25
गड़गड़े ढोल नगाड़, पदमण रतन परणिजिया।
उमड़िया नभ उपाड़, देखण फेरा देवता।। 26
सखियां सजाय सेज, आतुर मिलन ने अति रतन।
जेज न होय अंकेज, प्रीत पावण पदमण री।। 27
रतन सासरै रंज, सुख भोगे हो सांतरो।
सूकि नागमति कंज, बिरह अग्न बल बिलखती ।। 2 8
।।पिया को पाति।। नागमति की
धूजण लागी देह, बूंद बूंद कागद पड़ी ।
नैणा आयो मेह,आखरिया आला हुआ ।। 29
कै दे उडे कपोत, साजन नै संदेसडो ।
बिरह झुरिह बहोत, प्यारी थां री पीवजी ।। 30
जोबन सुराहि जोर, प्याला भर पाऊं पिया ।
भयी अडिकतां भोर, कंत देर ना कीजिये ।। 31
पढ़ पटराणी पाति, मोह जगो मेवाड़ रो।
बतला ससुर ने बाति, रज़ा मांगेह रतनसी ।। 32
देय'र घणो दहेज , गन्धर्व जी चढा गजां।
जवांई ने बिन जेज, सीख दिनी पदमण सहित।। 33
तजे लंक परदेस, नद वन मरुधर पार कर।
उड्यो दिस निज देस, चातक लेय'र चातकी ।। 34
मारग काट मेवाड़, पूग्या रतन पदमणी।
खोल गढ रो किंवाड़, आय बधावै नागमति।। 35
जोड़े ऊं दे जात , देवा रे जा देवले ।
हाथां लेयर हाथ , रतन पदमणी रीत सूं ।। 36
गावत बांयां गीत , गवर ईसर गणेश रा ।
पूरजौ अमर प्रीत , माँगे पदमण आ मनत ।। 37
ठावा चितरउ ठाठ , ठाकर अठे ठावका ।
रूड़ा इ राज पाठ , पाया अठेह पदमणी ।।38
दुष्ट राघव सेन द्वीज, इक दिन दिखाय दुष्टता।
काढ्यो काचर बीज, चितरउ सु पिये पदमण रै।। 39
व्याप्तां मन्न में वैर, द्वीज दिल्लीह दिश गयो।
देते किनी न देर, भेद खिल्लजी भूप ने।। 40
भर्या राघव कान, चितरउ गढ रै चित्र सूं।
बदन पदमन बखान, सब खिलजि ने सुनायकै।। 41
खिलजी दुष्टी खोय, खाथो खोटा ख्याल में।
हिवड़ो रावण होय, हरण हालियो पदमणी।। 42
लूंठा भूजंग ले'र, डगर डगर डेरा दिया।
चहुँफेर चितरउ घेर, पैण आइ पदमण पिवण।। 43
बैठो महिणा बार, चितरउ घेरे चौतरफ।
नजर न आई नार, पापी हताश पातशा ।।44
खिलजी मन धर खोट, पाप पाल पदमण तणो।
करण चित्तौड़ चोट, महल मित्र बण आवियो।। 45
निरख आरसी नार, पाप हिये में पाळियो।
दीदी कह दीदार, खिलजी कियोह खोट सों।46
मेहमान बन आय , दुष्ट मित्र बण दियो दगो।
बंदी रतन बनाय, सिधावियो निज शिविर में।। 47
खिलजी भेज्यो खत्त, पदमन दो ले लो रतन।
पोराउ उभो पत्थ, देखण शाही डोळियां।। 48
बादल गौरा बैठ, पदमण बताय योजना।
पाल्कियाँ दे 'र पैठ , रतन ने लाव रावले ।। 49
झट्ट भट हुआ सवार, पालकियाँ सज सैकड़ों।
ताण पाण तलवार, राजन लावण रावले ।। 50
बड़्या खळ दळ बीच, पूगा चढने पाल्कियाँ।
मारे आंखां मीच, अरि दळ सामो आवतां।। 51
गोरो अरि गुड़काय , खड़ड़ खाग खड़कावतो ।
छेवट कैद (सूं) छुड़ाय, चितरउ रावल रतन ने।। 52
हिम्मत खिलजी खोय, मरद देख मेवाड़ रा।
जावतो रतन जोय, बादल गौरा बीच में।। 53
तेगां तोड़ तड़ाक, बैर्या (ने)गौरो बाढतो।
भट पटकतो भड़ाक, ताड़ ताड़ कर तूर्कड़ा।। 54
गोरो मूंछ मरोड़, जुद्ध जबरैल जूंझियो ।
फौजां शाही फोड़, ताड़ ताड़ किय तूर्कड़ा।। 55
खळ इक वाही खाग, झट गोरा री पीठ पर।
पड़न न दीधी पाघ, पापी तुर्की पाड़तां।। 56
सुरग गोरो सिधाय, आई वरवा अपसरा।
गीत गन्धर्व गाय, इण मरण महोत्सव तणा।। 57
चितरउ कारण चोट, झेली गोरे कर जतन।
बादल बैरी बोट, रावले ले आयो रतन।। 58
ब्रख अरु जिम बेल , लाग गले वा लूंबगी ।
मधुर सिंधु नद्य मेल, रळ रळ पदमण रतनसी।। 59
गोरा सूं खाय मार, आग बगुलोह बापड़ो।
खाय'र खिलजी खार ,आक्रामक किय आक्रमण।।60
झट्ट हुआ भट त्यार , कोठा जद ठाला हुआ।
नागमति पदम नार, तन मन धन होमण हली।।61
रचण रण रंग रास, केसरिया धर केहरी।
अंग अंग हुल्लास , भर भट झट हाले भिड़न।।62
तुरंत लगाम ताण, हर हर हर कर हय हांकिया।
ढाल खाग झळ पाण, फोड़ण चढिया फौज नै।। 63
खड़ड़ खड़कत खड़ंग, भभक उठी रणभेरियां।
धूजियो धड़ धड़ंग, रण तज भजेह तूर्कड़ा।। 64
शस्त्र अस्त्र सब साज, चितरउ रावल रण चढे।
काट भट्ट रण काज, लड़ लड़ अरि सथ अड़थड़े।। 65
खिलजी विचार खोट, पछतावसे घणो पछै।
बादल बैरी बोट, बोट चोट कर चौतरफ।। 66
कर'र चहुँफेर चोट, तुर्कड़ा तोड़ फौड़िया।
अभिमन्यु जिम् दे सोट, पाड़ बैरि बादल पड़े।। 67
कटि कर कटार घात, तूर्कियाॅ उपर ताचकै।
मार मार दे मात, चितरउ राजन रण चढे।। 68
तोल पाण तलवार, कटक दल रणे काटतो।
बैरी पर कर वार, रावल रतनसिं रण रमे।। 69
घात कर रतन घेर, टूट पड़े सब तुर्कड़े ।
सौ स्यालां बिच शेर, लड़े आखिरी सांस तक।।70
गौमुख पर कर स्नान, पढ्या गीता पाठड़ा।
गंगा जल कर पान, सोल हजार क्षत्राणियाँ।। 71
गाये गीता सार, चंदन रो कर लैपड़ो।
हाली सोल हजार, जौहर ने क्षत्राणियाँ।। 72
पेर परिधान लाल, सोल सिणगार साजकै।
जगा'र जौहर ज्वाल, निसरी बळवा नारियाँ।। 73
हाली सोल हजार, कामण सत् पथ कारणे।
तन कर होमण त्यार, कूदे पावक कूण्ड मा।। 74
सोल साज सिणगार, निहारती निज नाह नै।
हसते हसते नार, कूदे पावक कूण्ड मा।। 75
तैरह सौ सन तीन, जौहर ऊठी ज्वालिका।
अग्न मांय तन लीन, पावन इति यश पदमणी।।75
सारदे रहे समीप, सूझाया ऐ सोरठा।
दाखे कोडे दीप, चरित पदमण पिचहतरी।। 75
इतिश्री दीप चारण कृत पदमण रतन पिचहतरी
कवि -परिचय नाम -:दिलीप सिंह चारण (दीप चारण )
जन्म -: 20- मई - 1988
जन्म-स्थान-: देशनोक (ननीहाल में )
पिता -: श्री जगदीश दान चारण
दाता -: श्री शक्ति दान चारण
गांव-: बैह चारणान , त• ओसियाँ ,जिला जोधपुर
हाल ही निवास -: इन्दिरा कॉलोनी बाड़मेर
सम्पर्क सुत्र -: 9660525254
email add. Dilipsingh.charan@gmail.com
शिक्षा -: एम • ए ,(राजस्थानी ,राजनीति विज्ञान ) बी•एड, एल. एल. बी ।
https://youtu.be/Rch7EVWSSm8
जन्म -: 20- मई - 1988
जन्म-स्थान-: देशनोक (ननीहाल में )
पिता -: श्री जगदीश दान चारण
दाता -: श्री शक्ति दान चारण
गांव-: बैह चारणान , त• ओसियाँ ,जिला जोधपुर
हाल ही निवास -: इन्दिरा कॉलोनी बाड़मेर
सम्पर्क सुत्र -: 9660525254
email add. Dilipsingh.charan@gmail.com
शिक्षा -: एम • ए ,(राजस्थानी ,राजनीति विज्ञान ) बी•एड, एल. एल. बी ।
https://youtu.be/Rch7EVWSSm8
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