बैह गांव में शिवरात्रि 2017
मेरे गांव की गवाड़ आज शिवरात्रि पर्व का फोटो मनीष भाई के जरिए प्राप्त हुआ। तो गांव का गवाड़ याद आ गया। और इसी अवसर पर पेश हैं चंद स्वरचित दोहे।
शिवरात्रि पर गांव बैह री गवाड़
ठाकुर जी रो मंदरियो, हनुमँत जी री साल।
गलियां गांव गवाड़ रो, भूलां न कदी भाल।। [1]
गांजो लाया गज्जजी, सुरजजी लाय भंग।
भोलो भजे इगेदासजी, रंग रे शंकर रंग ।। [2]
मुलकै मँद महताबजी, हे हे हंसे सरूप।
अमल्ल डोडा ले अमर, धूखे चिलमा धूप।। [3]
टाबर आया टूरनै, गावतां सुणे गीत।
छोटू टिंगर छेड़तो, ओडि न आयो ईत।। [4]
मोड़ो न करो मनीष जी, खाथो फोटू खींच।
पमिया मुन्ना भम्मिया , मति ना आंखा मीच।। [5]
लावा कोई लेवसी, उडाइ कोय मजाक ।
शिवं सदा ही दीपड़ा, गट्टकै गरल आक ।। [6]
भोले भोले भज्जलो, गाय उमा पति गान ।
बाढाणे बैठ बैह रा , दुहा रचे दीप दान ।। [7]
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
जुड़ी सभा हद जोर री , हरमुनियम ले हथ्थ ।
दिखे मधूकर दीपसा ,सज भायन को सथ्थ ।।
°°°°°°°°°°°°°°°भंवरदान जी मधुकर माड़वा
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