शक्ति देवल आई रा सोरठा
शक्ति देवल आई रा सोरठा
करीबन डेढ दो साल पहले मुझे सोते एक स्वप्न आया कि मैं गुजरात में किसी गांव में घूम रहा हूं किसी का पता पूछ रहा हूं । फिर समुंदर किनारा देखता हूं, बहुत सारे शिवलिंग, फिर एक छोटा सा मंदिर देखता हूं , तभी एक चारण शक्ति मिलते हैं मैं उनके चरण स्पर्श करता हूं। और तभी में जाग जाता हूं। फिर जब सवेरे फोन हाथ में लेकर डेटा आॅन करता हूं तो दो तीन गुजरात की चारण शक्तियों के फोटो वाट्स ऐप पर किसी ग्रुप में देखता हूं तो स्वप्न में जिन चारण आई शक्ति के चरण स्पर्श कर रहा था वे बिल्कुल इन्हीं की तरह दिखे थे। उस दिन से पहले इनका नाम नहीं सुना ना देखा न जानता था। आज भी इतना ही जानता हूं ये गुजरात के चारण आई शक्ति हैं और इनका नाम देवल आई हैं।
आज बैठे बैठे उस स्वप्न का पुनः स्मरण हुआ तो ये दोहा लिख दिया जय हो देवल आई जी री।
बंतलायो बिन बोलियां,पड़्यो हो जद पाय।
देवल दर्शन दीप ने, दिया सुपनेह आय ।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
देवल माँ दातार, चमतकारीह चारणी।
आई करो उद्धार, दीन साद दे दीपड़ो।।
तरणी देवल तार, डग डग भव माॅ डूबती।
पुगा परचे उं पार, दीन साद दे दीपड़ो।।
नाम तोह नवलाख, संग सातों सहेलियाँ।
पूत ने दिजो पाँख, दीन साद दे दीपड़ो ।।
लुल लुल पगाॅह लाग, सोरठा रचूं सांतरा।
पैरा अणनमि पाग, दीन साद दे दीपड़ो।।
ओ मारग अणखूट, पग्ग थकां म्हूं पांगलो ।
जबरैल ऐथ जूठ, दीन साद दे दीपड़ो।।
देवल मो दुख देख, मेटो झट हे मावड़ी।
काढ दुर्भाग्य मेख, दीन साद दे दीपड़ो।।
देवल दीनदयाल, भाव भक्त रा भांपती।
लुल लुल लोवड़याल, दीन साद दे दीपड़ो।।
देवल दुख कर दूर, दया दृष्टि सूं देखकर।
भरदे झोली भरपूर, दीन साद दे दीपड़ो ।।
आई तूं आधार, कलयुग में कविराज रो।
पड़े न तो बिन पार, दीन साद दे दीपड़ो।।
आई कर उपकार, बाल ने मढ बुलायकै।
देवल तो दरबार, देखसी कदे दीपड़ो ।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
आता दमकत दंत, माई देवल मौज मॉ।
हियो प्रसन होवंत, दर्शन करियां दीपड़ा।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
म्हानै राखो मावड़ी, शरणे चरण समीप।
आई देवल आपरा, दर्शन चावे दीप।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
मोगल मो-गल सांभलो, नित नित लेऊँ नाम ।
मोटी तुहीज मावड़ी , धरु हिये बीच धाम ।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
करीबन डेढ दो साल पहले मुझे सोते एक स्वप्न आया कि मैं गुजरात में किसी गांव में घूम रहा हूं किसी का पता पूछ रहा हूं । फिर समुंदर किनारा देखता हूं, बहुत सारे शिवलिंग, फिर एक छोटा सा मंदिर देखता हूं , तभी एक चारण शक्ति मिलते हैं मैं उनके चरण स्पर्श करता हूं। और तभी में जाग जाता हूं। फिर जब सवेरे फोन हाथ में लेकर डेटा आॅन करता हूं तो दो तीन गुजरात की चारण शक्तियों के फोटो वाट्स ऐप पर किसी ग्रुप में देखता हूं तो स्वप्न में जिन चारण आई शक्ति के चरण स्पर्श कर रहा था वे बिल्कुल इन्हीं की तरह दिखे थे। उस दिन से पहले इनका नाम नहीं सुना ना देखा न जानता था। आज भी इतना ही जानता हूं ये गुजरात के चारण आई शक्ति हैं और इनका नाम देवल आई हैं।
आज बैठे बैठे उस स्वप्न का पुनः स्मरण हुआ तो ये दोहा लिख दिया जय हो देवल आई जी री।
बंतलायो बिन बोलियां,पड़्यो हो जद पाय।
देवल दर्शन दीप ने, दिया सुपनेह आय ।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
देवल माँ दातार, चमतकारीह चारणी।
आई करो उद्धार, दीन साद दे दीपड़ो।।
तरणी देवल तार, डग डग भव माॅ डूबती।
पुगा परचे उं पार, दीन साद दे दीपड़ो।।
नाम तोह नवलाख, संग सातों सहेलियाँ।
पूत ने दिजो पाँख, दीन साद दे दीपड़ो ।।
लुल लुल पगाॅह लाग, सोरठा रचूं सांतरा।
पैरा अणनमि पाग, दीन साद दे दीपड़ो।।
ओ मारग अणखूट, पग्ग थकां म्हूं पांगलो ।
जबरैल ऐथ जूठ, दीन साद दे दीपड़ो।।
देवल मो दुख देख, मेटो झट हे मावड़ी।
काढ दुर्भाग्य मेख, दीन साद दे दीपड़ो।।
देवल दीनदयाल, भाव भक्त रा भांपती।
लुल लुल लोवड़याल, दीन साद दे दीपड़ो।।
देवल दुख कर दूर, दया दृष्टि सूं देखकर।
भरदे झोली भरपूर, दीन साद दे दीपड़ो ।।
आई तूं आधार, कलयुग में कविराज रो।
पड़े न तो बिन पार, दीन साद दे दीपड़ो।।
आई कर उपकार, बाल ने मढ बुलायकै।
देवल तो दरबार, देखसी कदे दीपड़ो ।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
आता दमकत दंत, माई देवल मौज मॉ।
हियो प्रसन होवंत, दर्शन करियां दीपड़ा।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
म्हानै राखो मावड़ी, शरणे चरण समीप।
आई देवल आपरा, दर्शन चावे दीप।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
मोगल मो-गल सांभलो, नित नित लेऊँ नाम ।
मोटी तुहीज मावड़ी , धरु हिये बीच धाम ।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
Comments
Post a Comment