कुंडलियो रम अर शीत रो


कुण्डलियो छंद

माने सब्ही मौजिला, त्यागे मन रो बोझ।
ठंडी बेरण ठाकरां, रम गटकाओ रोज।।
रम गटकाओ रोज, नैड़ी न आवै सर्दी।
पी के करलो मौज, रम्म है लांठी वर्दी।।
कहे दीप कविराज, पी ले थोड़ीक छाने।
लुगायां रो है राज, जन जन आ बात माने।।

°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

ड्रिंकिंग इंजरेस्ट टू हेल्थ।

दारू देख ओ दाख रो, डीगण मत दे मन्न।
गुरदा ओ तो गालतो, तोड़े सगलो तन्न।।

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

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