नन्ही परी दिव्यांशी


दिव्यांशी सिंढायच

फैलाय परी पंख नै , थान तेमड़े जाय ।
चिबटी भरी प्रसाद चख ,उड़कर भू आय ।।

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

मामा नानी मौसियां ,रमाय लाड लडाय ।
रम नानाणे रंजगी , दाता दिवा न आय  ।।

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण


उडन परी झट आय ,
भू नेड़ी रे भगवती।
वुढड़ी माँ वतलाय,
देख प्यारी दिव्यांश ने ||

भंवर दान जी बीठू मधुकर माड़वा कृत
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