दिवेर युद्ध अर महाराणा प्रताप


दिवेर युद्ध

                     -:दोहा:-

गाए गुण गणराज रा, धरे कलमधर ध्यान।

सिंवरै माता शारदे , दे दे विद्या दान।।

हल्दीघाटी हारकर , देख अकबर दिवेर।

सेना काके संगही, भेजी लेवण बैर।।

अकबर उगलत आग, मोड़ देख मेवाड़ रो।

दागण रो न ले दाग , प्रण ओ लीनो तें पता।।

समय अक्टुबर मास ,  पनरे  सौ बंयासि में।

मुगला (रा) मोड़े बास, अभियान चला अमरियो  ।।

छिप छिप छापामार,  दिवेर घेरे दौड़ता।

पल मा करे प्रहार, मैराथन मंड माॅटिड़ा ।।

सेना ले सुल्ताण, अलि अलि बकतो आवियो ।

भालो बाये ताण,   अश्व सहित बींद्यो अमर  ।। 

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

              सुपंखरो

मेवाड़ी महाराणा ले तीर कबाणा ले भाला भेला ,

दौड़ा हय हाक मार हालिया दिवेर।

दरबारां सिरदारां  संग जमा रंग राणो

घोड़ा असवारां चहुंओरां घाले घेर।। 

छलांगां तुरंगां लगातां हिंनहिंनातां करे छोला,

छपाक  भीड़िया जोधा क्रोधा छापा मार ।

अरियां नै काट फेंकतो परिया अमरीयो,

दलां मुगलां रै भाला किया आर पार ।।

तेगां थामे हाथां उड़ाता माथा कूदा तुरियो,

दलां भलां दले मार्या मुगला मरोड़।

बकरा ज्यां बैरीयांरा करता झाटका रण बांका,

छिलकै बिलखै बैरी नाठा रण छोड़।।

सुल्तान खान खड़ा करे कान आयो सामो

भतीज बादशाह री करतोह भीर ।

भलकारां ललकारां भर बायो भट्ट भालो, 

भू तणो धस्यो घणो बैरी तुरीय चीर।।

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

छंद छप्पय 

प्रण पालक प्रताप , नार नह जाली जौहर। 

प्रण पालक प्रताप , प्रतापी प्रभात पोहर।। 

प्रण पालक प्रताप , नर नाहर नाहि नमियो। 

प्रण पालक प्रताप , अकबर सों जाय अड़ियो।। 

बम बम भोले बोलकै , बाहि तेग बहलोल कै। 

फेंक्यो सह हय खोलकै , तेगां भाला तोलकै ।। 

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

भल उगतो मुख भाण,अरियां दल भय आकरो।

पलकती तेग पाण, पाड़े दलां प्रतापसी।।

मान ने उण रो मोद ,खटकतो जिण नैण पतो ।

सिधाय जग सुँ सिसोद, आँसू दे उण आँखियां।।

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

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