ना रूठा कर नार
खटपट कर खामंद सों, ना रूठा कर नार।
घणोई हेत घालसी , लाडो लाड लडा'र ।।
हेत सो नाहि हालसे , जो महँगाई जा`र ।
प्रीत रा गीत पांतरो ,(नी तो)भमसो घण भरतार ।।
छोरी थांरी छोटकी , बड़ी होसी अबार।
मूँडो फाड़े मांगसी, पलीत टिको अपार।।
भरतार बटे न भूंगड़ा, पढतां कविता पाठ ।
मेनत करियां मौकली, ठहसी ठावा ठाठ ।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
करती....... कोप, फुरड़तां देख फोनड़ो।
तगड़ी आ है तोप, देख सब डरे दीपसा।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण 😂
हर को जोड़े हाथ ,कामण आगे अनवी किसा।
नमे त्रिलोकी नाथ ,राधा आगल राजिया ।
🙏🏼😃😃
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