सांवरिया ने ओलभो
पलकां पालनहार , मीच मुलकै मोकलो ।
निरखे चंचल नार , सुप्रभात झाल सांवरा ।।
सिँधुजा दबे सरीर , सैंस सैया सुतो सांतरो ।
सुणतो नी अब पीर , सासरै पड़यो सांवरो ।।
खोले कपाट कान , सांभलो आज ओलभा ।
मग मग पड.सी मान , पछतासो पछै सांवरा ।।
फेड़ले (या) अब्ब तेड़ले , (तु) जाणे तारणहार ।
देख'र दुखड़ा दीप'सा , लगो(लुगड़ा)चोर रै लार ।।
मो मन मन री मार , घट घर घण घुम खावतो ।
जग तज लुकियो जा'र , सूतो सागर सांवरा ।।
दीनां खत मन दूत , बोलां क्यां नी बांचतो ।
भगतां लागै भूत , सिरकसो कैथ सांवरा ।। ?
जा लुक्यो जदुराज , सागर तलेह सीप मा ।
आलसी भयो आज , संभल जा रे सांवरा ।।
ग्वाल गोपियां लाडला , नंदलाल रा नग्ग ।
एकर सामो आव तो , पटकूं झाल'र पग्ग ।।
•••••••••••••••••••••••दीप चारण
अलगो अणुतां कोस, कदी अणुतो करीब थूं।
कदी देतो हूं कोस, दोष माफ कर सांवरा।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
तारे या ना तार, तनॉ हूं ईज तारतो।
याद कर जुग्ग यार,ठीक ठीक सूं ठाकरां।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
भावार्थ - हे ठाकुर जी! (कृष्ण भगवान ) आप हमें तारो या न तारो आपको तो मैंने (चारण) ही तारा हैं अच्छी तरह से सारे युग याद करके देखो आपका महीमा मंडन मैंने (चारण) ही किया हैं भलेही मैं निमित कारण हूं परन्तु मेरी(चारण) ही रचनाओं से आपको दुनिया जानती हैं अब इस कलयुग में आप मुझे ना तार सको यार (मित्र) तो कोई बात नहीं परन्तुअपनी रचनाओं से मैं तो आपको तारता ही रहुँगा। और यें भी सुन लो आपको तो क्या आपके कितने ही वंशजों और पीढ़ियों सुर्यवंशी चंद्र वंशी आदि को भी मैंने ही तारा है अब तूं मुझे तारे या न तार।
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