।।पिया को पाति।।
।।पिया को पाति।।
बूंद बूंद कागद पड़ी , धूजण लागी देह ।
आखरिया आला हुआ , नैणा आयो मेह ।।
••••••••••••••••••••••••••••••••दीप चारण
साजन नै संदेसडो , कै दे उडे कपोत ।
प्यारी थांकी पीवजी , बिरह झुरिह बहोत ।।
••••••••••••••••••••••••दीप चारण
बूंद बूंद कागद पड़ी , धूजण लागी देह ।
आखरिया आला हुआ , नैणा आयो मेह ।।
••••••••••••••••••••••••••••••••दीप चारण
साजन नै संदेसडो , कै दे उडे कपोत ।
प्यारी थांकी पीवजी , बिरह झुरिह बहोत ।।
••••••••••••••••••••••••दीप चारण
प्याला भर पाऊं पिया , जोबन सुराहि जोर ।
कंत देर ना कीजिये , भयी अडिकतां भोर ।।
•••••••••••••••••••••••••••••••••दीप चारण
गुजर गया वो दौर , दास्ता इस दिल की लिये
यादें करती शौर , बीती बसंत ब्यार की ।।
•••••••••••••••••••दीप चारण
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