रण रज कण


रण रज रज रलिजावतो , धर कर धनु तलवार ।
गीत रण रमत गावतो , उर कविजन रो त्यार ,  ।।
उर कविजन रो त्यार , वीर विरद बिड़दावतो ।
कर दो दिसे हज़ार , खड़ंग जद खड़कावतो  ।।
बरसत बरखा बाण , तेग ढाल लइ अड़त तण ।
भमत आकरो भाण , रक्त रंगत रज रज रण ।।
धर कर धनु तलवार , रण रज रज रलिजावतो ।
उर कविजन रो त्यार , गीत रण रमत गावतो ।।

••••••••••••••••••••••••••••••••दीप चारण

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