राधा कृष्णा रास

वृंदावन कानो वहिर , धेनॉ टोले धोल ।
भेलो भातो भायला , खवाईस मन खोल ।।
गौ टोले गोपाल , गीत मुरलिये गावतो ।
भूली गोपी भाल , काम निवेड़ा कालिया ।।
खेतां चराय खोपियां , खेलतो रास खेल ।
ग्वाले राधा गोपियां , मोकली प्रीत मेल ।।
लइगो मन हर संग , नैण बाण मारि नट बण ।
रति रलि गोपी रंग, मदन सदन अँग माधवा।।
मन मोहन बजत मुरली , पुगी गोपियाँ पास ।
बलम बिन बनी बावली , रमे स्याम सँग रास ।।
गोपी सुध बुध बिसर गी , पाय स्यामलो पास ।
डग डग बजाय डंडिया , रमे स्याम सँग रास ।।
डणण डणक्का डंडिया , छणण छड़ा छणकार ।
राधे माधे सँग रमी , घट पटक घूँघट घटा'र ।।
•••••••••••••••••••••••••••••••••दीप चारण

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