कालिये रा सोरठा
कंस करे घण कोड ,
देय वसुदेव देवकी ।
फुटो गगन कन फोड़ ,
काल आवसी कालियो ।।
ताला जन्मे तोड़ ,
गयो नंद रे गामड़े ।
हुवै न थारी होड़ ,
कलजुग माही कालिया ।।
धेनां टोले धोलकी,
बंशी मधुर बजाय ।
लुकै लुगड़ा लुकाय ,
कालिन्दी तट कालियो ।।
कल कल करती कालिँदी ,
मधरा कहुकै मोर ।
घिरे देख घन घोर ,
कोड करे जद कालियो ।।
हालिया आय हिरणिया ,
टणकी सुणते टेर ।
मांडै डग डग मेर ,
कला ग़ज़ब री कालियो ।।
नाथण नकटो नाग ,
दरे नाग नाखी दड़ी ।
झटक्के फणा झाग ,
कालिँदी कूद कालियो ।।
नट बण नचियो नाच ,
फण फुटरा तें फोड़िया ।
पूंछ नाग री खांच ,
कालिँदी बीच कालियो ।।
गोपियां पिँचे गाल ,
चोर ठाय चितचोर ने ।
भल मोर पंख भाल ,
कुंवर फुटरो कालिया ।।
रमतो लीला रास ,
सुर छेड़तोह सांतरा ।
खामंद तुँही ख़ास ,
क़रतो करतब कालिया ।।
सोरठा करे शोर ,
सब कवियां रा सांतरा ।
डग डग थामे डोर ,
कला करतोह कालिया ।।
जलधि पोढया जाग ,
कलकी कलजुग मां कठे ।
कांव कांव सम काग ,
कवि सब कूकै कालिया ।।
भाव बिना भगवान ,
जग मा कोय न जोवसे ।
गलै सुँ निकले गान ,
कवि हिवड़े घन कालियो ।।
बड़ मढ कर चक्षु बंद ,
जोङ कर जिने जोवतो ।
मुलकतो मंद मंद ,
कण कण मांही कालियो ।।
कवि हिवड़े घन कालियो ,
(तो)खिन्वा चपला खेत ।
झमा झम्म झमकावती ,
रमा दे कनक रेत।।
तप तप आयो ताव ,
तातो तपे तवे ज्युँ तन ।
आव कालिया आव ,
मंद बाम मोरे मलन ।।
••••••••••••दीप चारण
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