subcd

कोई बहुत सारी डिग्रीयाँ लेकर भी बेरोजगार होकर घर मेँ पङा ,
पङा क्या ,
पङा-पङा सङा ।।
उघर कोई अगुठा छाप होकर भी साला संसद मेँ खङा ।

खङा क्या,
खङा-खङा खावै सस्ते मेँ मिर्ची बङा ।।
अरे दिप !
कितना मस्त बङबङा रहा है, और भी तो कुछ बङबङा

Comments

Popular posts from this blog

काम प्रजालन नाच करे। कवि दुला भाई काग कृत

आसो जी बारठ

कल्याण शतक रँग कल्ला राठौड़ रो दीप चारण कृत