मंडोवर नरेश नाहड़राव पड़िहार द्वारा गिरनार की तलहटी में जाखेड़ा गांव निवासी नरसिंह भाचलिया को सिंह-ढायक पदवी से नवाज कर प्रोलपात्र बनाकर मानसरोवर सम मोगड़ा जागीर बगसीस करने की गाथा लिखने का प्रयास ।
तन मन लागी प्यास,ताण कबाणां दौड़तां।
पूग्या पुष्कर पास, इंदा नृप आखेट नै।।
खावे तावड़ खार, जेठ माह अति जोर तप।
पुगा अरावल पार, प्यासा पाणी आस में ।।
तिस्सा नाहड़ राव जी, मही मंडोवर भूप।
फिरे थळ जळ जोवता, कठे न दीसै कूंप।।
गौ खुर खीणी खाड में, थो पाणी थोड़ोह।
पाणी महिप झट पी गया, मलगु किय न मोड़ोह।।
पेय महिप ज्यूं ही पियो, सुचंग होय शरीर।
सरवर खुदांउ सांतरो, ठहरांऊ इत नीर।।
खूद सरवर खुदाय, आयो नृप मजदूर ले।
थो जैसो ही थाय, कठे न सिरके हेक कण।।
................
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
जाखेड़ो गांव हो जठे , तलहट गढ गिरनार।
भाचलियो नरसिंह भट, करतो नार शिकार ।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
तन मन लागी प्यास,ताण कबाणां दौड़तां।
पूग्या पुष्कर पास, इंदा नृप आखेट नै।।
खावे तावड़ खार, जेठ माह अति जोर तप।
पुगा अरावल पार, प्यासा पाणी आस में ।।
तिस्सा नाहड़ राव जी, मही मंडोवर भूप।
फिरे थळ जळ जोवता, कठे न दीसै कूंप।।
गौ खुर खीणी खाड में, थो पाणी थोड़ोह।
पाणी महिप झट पी गया, मलगु किय न मोड़ोह।।
पेय महिप ज्यूं ही पियो, सुचंग होय शरीर।
सरवर खुदांउ सांतरो, ठहरांऊ इत नीर।।
खूद सरवर खुदाय, आयो नृप मजदूर ले।
थो जैसो ही थाय, कठे न सिरके हेक कण।।
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°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
जाखेड़ो गांव हो जठे , तलहट गढ गिरनार।
भाचलियो नरसिंह भट, करतो नार शिकार ।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
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