मेरी हसरत पर तेरी मेहरबानी नहीं चाहिए ।


https://www.writersmood.com/2019/06/blog-post_48.html?m=1

मेरी हसरत पर तेरी मेहरबानी नहीं चाहिए,

आरजू उलफत पे तेरी कुर्बानी नहीं चाहिए।

हम ही अपने इश्क पे नाज कर लेंगें ऐ दिल,

इस ताहिर को अब कोई दिवानी नहीं चाहिए।

बिन तेरे जो झट डूब जाए सूर्ख साहिल पर,

दरिया के मुसाफिर को वो कस्ति नहीं चाहिए।

बीके जो नोटो में बटकर लड़े जो मजहब पर,

मालिक इस मुल्क को वो बस्ती नहीं चाहिए।

उजाड़ गुले- गुलशन विरान करे हशीं जहां को,

मन बहलाने मौला ऐसी मस्ती नहीं चाहिए।

°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

Comments

Popular posts from this blog

काम प्रजालन नाच करे। कवि दुला भाई काग कृत

आसो जी बारठ

कल्याण शतक रँग कल्ला राठौड़ रो दीप चारण कृत