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Showing posts from 2019

काम प्रजालन नाच करे। कवि दुला भाई काग कृत

कामप्रजाळण नाच करे : रचना :- दुला भाया काग आजे पवित्र श्रावण मासनो बीजो सोमवार छे ते निमिते कविश्री दुला भाया कागनी रचना कामप्रजाळण नाच करे (छंद - दुर्मिला) परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण,कामप्रजाळण नाच करे, भभके गण भूत भयंकर भुतळ, नाथ अधंखर ते नखते, भणके तळ अंबर बाधाय भंखर , गाजत जंगर पांह गते ; डमरुय डडंकर बाह जटंकर , शंकर ते कईलास सरे, परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण,कामप्रजाळण नाच करे, (1) हडडं खडडं ब्रह्मांड हले, दडडं दडदा कर डाक बजे, जळळं दंग ज्वाल कराल जरे , सचरं थडडं गण साज सजे ; कडके धरणी कडडं , हडडं मुख नाथ ग्रजंत हरे , परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण,कामप्रजाळण नाच करे,(2) हदताळ मृदंग हुहूकट,हाकट धाकट धीकट नाद धरं, द्रहद्राह दिदीकट वीकट दोक्ट,कट्ट फरंगट फेर फरं ; धधडे नग धोम धधा कर धीकट,धेंकट घोर कृताळ धरे, परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण,कामप्रजाळण नाच करे,(3) नट तांडवरो भट देव घटां नट उलट गूलट धार अजं, चहँ थाक दुदूवट दूवट खेंखट,गेंगट भू कईलास ग्रजं ; तत तान त्रिपुरारि त्रेकट त्रुकट, भूलट धुहर ठेक भरे, परमेश्वर मोद धरी पशुपाळण,कामप्रजाळण नाच करे,(4) सहणाई छेंछ अपार छटा,चहु...

राजल बाई रा छंद

राजल बाई रा छंद  कवि पृथ्वीराज राठौड़ (बीकानेर युवराज ) कृत सारा सगतियां सरे , राजल थांरो राज । पीथल करे प्रार्थना , राजबाई महाराज ।। राजल राजल रटता. पीथल करे पुकार । विखमी पुल आ वरणी , वेग कराओ वार ।। तु चौराडी चारणी , हुं क्षत्री राठौड । नवरोजे नारी चढे , कुल ने लागै कोड ।। गजराज धायो गोविंद ,द्रोपद जदुराज । हुं तनां धावां हमे , राजबाई महाराज ।। धेनां छोडी धावती , वाडे वाछडियाह । उदाई डग आछटे , चीला डग चढियाह ।। आयो बीकाणो आगरो , पीथल ना पायोह । वले पीयाणो वहंता , दिल्ली दिस धायोह ।। केथ अकबर रो केलपुर , केथ चोराडो देस । आई आवो उंतावला , सुण पीथल संदेस ।। नवरात्री मेले निरख , निरखी सब नरीह । चंपा कंवरी केथ चले , पिथे पूकारीह ।। पग सामटे पग डहे ,वाहण विकरालीह । भटियाणी भेला हुआ , राजल रखवालीह ।। राजबाई रथ मो रमे , भमे शाही गरम । भमे अकबर रा भोगना , नम नम होवे नरम ।। अकबर छोडी उण दिन , नवरोजे री नीत । राजबाई रै सरणे , पीथल रहे नचीत ।। हल चल प्रथ्वी पर होवे , जल थल अथल जंग । पीथल री सुण प्रार्थना , राजबाई जबरंग ।। संकलन दिलीपसिंह चारण बैह चा...

सपाखरू बरसात नो गीगाभाई बारोट कृत

🌞    *मेघ सेना*     🌞 🌞    *गीगा भगत*  🌞          *||  सपाखरु  ||* मळ्यां वादळां घघुंबी काळां मेघवाळां धरा माथे चोमासारा सज्या गर्ये सघण समाढ वरा फेरी धरा सरे चडी फोज ईंद्रवाळी गाढा मेघ गाजा त्रुटा छपनारा गाढ (1) वीजळी मशालुं वाळी जळेळी आकाश वेगे धरी रंग लीलां पीळां खेंचीयां धनुष चोपदारा ललकारा मोरला जिंगोर्या सारा मेघ ओतरादा चडया हरख्या मनुष (2) ईंद्रजारा छुटी धारा भोमकारा मची ऐली नदीयांरा भर्या आरा स्त्रोवरारां नीर दादरारा कवेसरा कीरति गेंकिया दाडी बापैया बोलिया ठारोठारथा वजीर (3) गंगाजळां धधकियां खळकया डुंगर गाळा प्रथीवाळां नदीनाळां सिंधु ढाळां पूर खंखाळ्या जमीका खाळा दु:ख दवा टाळ्या खेह नवे खंडांवाळा ढाळा प्रगटाणां नूर (4) पीलंबरी लालफूली लीलंबरी बणी प्रथी धनश्याम माथे छुटी मेघरी घेघुंब पा'ड घेर्या रीछां वाळे टुक माथे जर्यां पाणी जमीं बणी फळ फुले घणी लुंबजुंब (5) रांकवाळी मटी खद्या मो'ल भाळी थिया राजी केतामान स्त्रोवरारा छलकया किनार तृण चारा करेवाने मेखीयुं ना हाल्यां टोळां ...

लांगा चारण री कटारी गीत जात सफाखरू /सुपंखरो मेरामण जी जाडेजा राजकोट

"कट्टारीनु किर्तन " (सफाकरु गीत) ~~~~~~~~~~~ भली वेंडारी कट्टारी लागा अेतादी कळाका भाण संभारी कट्टारीमाहे होवाते संग्राम.। हेमजरी निशरी वन्नारी शात्रवाका हैया. अजा बीआ मागे थारी दोधारी ईनाम.।। पट्टी अट्टी आखरा की जम दट्टी कट्टी पार. ध्रुसटी शात्रवा हैये राखवा धरम.। बंबोळी रत्तंमा थकी.कंकोळीशी कट्टी बार. होळी रमी पादशारी नीशरी हरम.।। अषाढी बीजली जाणे उतरी शी अणी बेर. मणी हिराकणी जडी नथारे सम्राथ.। माळीअे हो मृगानेणी बेठी शत्रशाळी मांय. हेमरे जाळीअ करी शाहजादी हाथ.।। करी वात अखीयात अणी भात न थे काणी. जरी जाळीयामा तरी जोव जांख जांख.। शात्र वाका हैया बीच सोसरी करी ते जेसा. ईसरी नीसरी के ना तीसरीसी आँख।। कर्ता - महाराज मेरामणजी राजकोट पोस्ट - भगुभाईगीडा जसदन टाईपींग - भगुभाईगीडा जसदन (काठीदरबार)   " वोट्सप्प " @भगुभाईगीडा लोकडायरागृप जसदन@ जोडावा माटे मो.7567835462
मंडोवर नरेश नाहड़राव पड़िहार द्वारा गिरनार की तलहटी में जाखेड़ा गांव निवासी नरसिंह भाचलिया को सिंह-ढायक पदवी से नवाज कर प्रोलपात्र बनाकर मानसरोवर सम मोगड़ा जागीर बगसीस करने की गाथा लिखने का प्रयास । तन मन लागी प्यास,ताण कबाणां दौड़तां।  पूग्या पुष्कर पास, इंदा नृप आखेट नै।। खावे तावड़ खार, जेठ माह अति जोर तप। पुगा अरावल पार, प्यासा पाणी आस में ।। तिस्सा नाहड़ राव जी, मही मंडोवर भूप। फिरे थळ जळ जोवता, कठे न दीसै कूंप।। गौ खुर खीणी  खाड में, थो पाणी थोड़ोह। पाणी महिप झट पी गया, मलगु किय न मोड़ोह।। पेय महिप ज्यूं ही पियो, सुचंग होय शरीर। सरवर खुदांउ सांतरो, ठहरांऊ इत नीर।। खूद सरवर खुदाय, आयो नृप मजदूर ले। थो जैसो ही थाय, कठे न सिरके हेक कण।। ................ °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण जाखेड़ो गांव हो जठे , तलहट गढ गिरनार। भाचलियो नरसिंह भट, करतो नार शिकार ।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

मेरी हसरत पर तेरी मेहरबानी नहीं चाहिए ।

https://www.writersmood.com/2019/06/blog-post_48.html?m=1 मेरी हसरत पर तेरी मेहरबानी नहीं चाहिए, आरजू उलफत पे तेरी कुर्बानी नहीं चाहिए। हम ही अपने इश्क पे नाज कर लेंगें ऐ दिल, इस ताहिर को अब कोई दिवानी नहीं चाहिए। बिन तेरे जो झट डूब जाए सूर्ख साहिल पर, दरिया के मुसाफिर को वो कस्ति नहीं चाहिए। बीके जो नोटो में बटकर लड़े जो मजहब पर, मालिक इस मुल्क को वो बस्ती नहीं चाहिए। उजाड़ गुले- गुलशन विरान करे हशीं जहां को, मन बहलाने मौला ऐसी मस्ती नहीं चाहिए। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

इक बार भी नहीं पुछा कि कैसे हो? "दीप"

https://www.writersmood.com/2019/06/blog-post_14.html?m=1 अक्सर गुजरता हूं तेरी गलियों से, हाल चाल पूछता हूं मैं कलियों से, कोई करता नहीं मुझसे जिक्र तेरा, ले लेता हूं तेरी खबर तितलियों से।। काफी अर्से बाद मिले हम बीच राहें, धड़कने बढी दिल भरने लगा आहें, तुने हटा ली मेरी डटी तो हटी ही नही, बस इत्तफाक से यूं मिल गयी निगाहें।। सोचता होगा? यूं देखोगे कब तलक, इतनी क्यों हशीं लगती है मेरी झलक, मुकम्मल वक्त जो था वो बीत गया, कब तलक तरसती रहेगी तेरी पलक।। अब तो बहुत कम ऐसे मोड़ आते, जहां कभी हम तुम टकरा ही जाते, जा बस गये तुम किस गैर दुनिया में, आज भी उस गली में अलि मंडराते। झरोखे से झांकती ना थी मोटर जीप, निहारती इक टक स्वाति बूंद ज्यों सीप, निगाहें टिकी रहती थी ओझल होने तक, आज इक बार भी न पूछा कि कैसे हो? "दीप" । °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण