Posts

Showing posts from March, 2017

बैह गांव में शिवरात्रि 2017

Image
मेरे गांव की गवाड़ आज शिवरात्रि पर्व का फोटो मनीष भाई के जरिए प्राप्त हुआ। तो गांव का गवाड़ याद आ गया। और इसी अवसर पर पेश हैं चंद स्वरचित दोहे। शिवरात्रि पर  गांव बैह री गवाड़ ठाकुर जी रो मंदरियो, हनुमँत जी री साल। गलियां गांव गवाड़ रो, भूलां न कदी भाल।। [1] गांजो लाया गज्जजी, सुरजजी लाय भंग। भोलो भजे इगेदासजी, रंग रे शंकर रंग ।। [2]  मुलकै मँद महताबजी, हे हे हंसे सरूप। अमल्ल डोडा ले अमर, धूखे चिलमा धूप।। [3] टाबर आया टूरनै, गावतां सुणे गीत। छोटू टिंगर छेड़तो, ओडि न आयो ईत।। [4] मोड़ो न करो मनीष जी, खाथो फोटू खींच। पमिया मुन्ना भम्मिया , मति ना आंखा मीच।। [5] लावा कोई लेवसी, उडाइ कोय मजाक । शिवं सदा ही दीपड़ा, गट्टकै गरल आक ।। [6] भोले भोले भज्जलो, गाय उमा पति गान । बाढाणे बैठ बैह रा , दुहा रचे दीप दान ।। [7] °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण जुड़ी सभा हद जोर री , हरमुनियम ले हथ्थ । दिखे मधूकर दीपसा ,सज भायन को सथ्थ ।। °°°°°°°°°°°°°°°भंवरदान जी मधुकर माड़वा

पदमण रतन पिचहतरी दीप चारण कृत

Image
पदमण रतन पिचहतरी दीप चारण कृत शब्द दिजै मां सारदा, गणपति दीजो ग्यान। रीत लिखतां पदमण री, धरू आपरो ध्यान।। 1 रतनसिं रंगमहेल, निहारन लगो नागमति । रूपल दीठी पैल? पुछत नागमति कंत नै।। 2 उड़ हीरामन आय, कैय तुं उण समि कैंइ नी। जोय रतनेश जाय, सिंहल द्वीप री सुंदरी।। 3 सटपट सूवे संग, सिंहल द्वीप दिस रतनसीं। टूरिया अश्व टंग, पथ झट झाल पदमण रो ।। 4 बड़बड़ सूवो बात, सैं मारग सूणावतो। रतन कढे दिन रात, दिस पदमण री दौड़तो।। 5 सूवे रो हैं संग, सफर रतन रो सांतरो। आइ अबखाइ न अंग, डीगे डग डगला धरे ।। 6 बूहो महिना बार, मार्ग अथक पग मेलतो। पूगो समंद पार, अंक ले सुवो लंक में।। 7 काट्या न दाड़ केस, मेवाड़ेश कइ मास सूं। भग्वो धर कर भेस, फिरे गढ लंक बारकर।। 8 बरस आठ उत बैठ, निरखे पदमण निज नजर। हरकत करत वट हेठ, भाल्यो इक दिन भूप जी।। 9 मत रह साधू मौन, हकीक़त आज हांकरों। क्षत्रिय थूं है कौन, जोगी तु न मैं जाणतो।। 10 सटकै कहियो सांच, रतन गन्धर्व सेन ने । ख्याल पदमणी खांच, लाय रतनेश लंक में।। 11 गल लग गंँधरव सेन, गढ रतनसि ने ले गयो। निखरत पदमण नैन, सुदबुद बसरे समरसुत ।...

शक्ति देवल आई रा सोरठा

Image
शक्ति देवल आई रा सोरठा करीबन डेढ दो साल पहले मुझे सोते एक स्वप्न आया कि मैं गुजरात में किसी गांव में घूम रहा हूं किसी का पता पूछ रहा हूं ।  फिर समुंदर किनारा देखता हूं, बहुत सारे शिवलिंग, फिर एक छोटा सा मंदिर देखता हूं , तभी एक चारण शक्ति मिलते हैं मैं उनके चरण स्पर्श करता हूं। और तभी में जाग जाता हूं।  फिर जब सवेरे फोन हाथ में लेकर डेटा आॅन करता हूं तो दो तीन गुजरात की चारण शक्तियों के फोटो वाट्स ऐप पर किसी ग्रुप में देखता हूं तो स्वप्न में जिन चारण आई शक्ति के चरण स्पर्श कर रहा था वे बिल्कुल इन्हीं की तरह दिखे थे।  उस दिन से पहले इनका नाम नहीं सुना ना देखा न जानता था।  आज भी इतना ही जानता हूं ये गुजरात के चारण आई शक्ति हैं और इनका नाम देवल आई हैं। आज बैठे बैठे उस स्वप्न का पुनः स्मरण हुआ तो ये दोहा लिख दिया जय हो देवल आई जी री। बंतलायो बिन बोलियां,पड़्यो हो जद पाय।  देवल  दर्शन  दीप ने, दिया  सुपनेह  आय ।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण देवल माँ दातार, चमतकारीह चारणी। आई करो उद्धार, दीन साद दे दीपड़ो।। तरणी देवल तार, ...

अर्धांगिनी को जन्मदिवश की बधाई साहित्य अंदाज में

Image
अनु जन्मदिवस आज, हिवड़ो मनावै हेत सूं। बैरी आवै न बाज, खामद खोटो दीपड़ो ।। भूलां नह ऐ भाल, अनु अनगिनत आपरा। नित नित किया निहाल, खुशियां लाय दीप घर ।। सूट सूं मुँगा सोरठा, अमोल ऐ अलँकार। दातार बींद दीपड़ो,ओपता देय उपहार।। पड़ूत्तर चतर कवि दीप चारणां, कूड़ीह नीति कूट। पत्नी ने फुसलायकै, सखरो भुलाय सूट।। फोटु ठाय थें फालतू , लिखतां करो न लाज। चारणी ने चिगलावतां , बालमा आव बाज ।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण संढायच किया सखरा , वामा तणा वखांण । दिय रीझ मधुकर दिपसा,धिय रतनु धणियांण ।। °°°°°°°°°°°°°°°भंवरदान जी मधुकर