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Showing posts from January, 2017

जुद्ध और जौहर वरणन दीप चारण कृत

https://youtu.be/pQ1PCO-Uxl8

सपाखरु नोट बंदी रो

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गीत जात सुपंखरो नोटबंदी रो मोदी करी नोट बंदी भारी चहूं ओर लायो मंदी, देख देख लेवे लावा दिल्ली सरकार। हारी जनता फिरी फिरी मारी मारी भीड़ भारी कोजी एटीएमां में लांबी लांबी कतार ।। 1 मजदूर  मीडलक्लास  गरीब  गया मार्या पैसे पैसे नै तर्से भर नी पावे पेट। करोड़ों में टीका आवे दीन फूलका फिका खावे सेठां ठेकेदारां करली सेटिंगा ठेट ।। 2 नोट लेण दीप चाला बीचे बड़ी हेक बाला नंबर आंया भयो एटीएम ठालोह। आस चार हजारां रात रात लागो कतारां ऊभो दुबारां नोट हेक हाथां लागोह ।। 3 इमानदारी फिरे मारी मारी भ्रष्टाचारी है भारी , तरकीबें फेल करे किनी ताड़ ताड़। बस्पा सपा हाथवाला झाड़ूवाला गेलसपा जोय उभा मोदी हटावण रो जुगाड़।। 4 °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

कुंडलियो रम अर शीत रो

कुण्डलियो छंद माने सब्ही मौजिला, त्यागे मन रो बोझ। ठंडी बेरण ठाकरां, रम गटकाओ रोज।। रम गटकाओ रोज, नैड़ी न आवै सर्दी। पी के करलो मौज, रम्म है लांठी वर्दी।। कहे दीप कविराज, पी ले थोड़ीक छाने। लुगायां रो है राज, जन जन आ बात माने।। °°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण ड्रिंकिंग इंजरेस्ट टू हेल्थ। दारू देख ओ दाख रो, डीगण मत दे मन्न। गुरदा ओ तो गालतो, तोड़े सगलो तन्न।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

कुंडलियो नाथूदान जी सा रो

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🙏🎁🎂नाथूदान जी सा नै जन्मदिवस री हार्दिक घणी मौकली शुभकामनावां।🎂🙏 कुंडलियों छंद गीत भजन री धून पर, नित नित नाथूदान। बंशी बैठ बजावता,टणकी छेड़े तान।। टणकी छेड़े तान, मधुर चारण मुरलीधर। गावे खग सह गान, संग संग सुर मिलाकर।। देख कला आ दीप,  बाजी सुर नित नित बुनें। रख हरि हिये समीप, गुँजाय गीत भजन धुनें।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

छप्पय छंद प्रयास

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छप्पय छंद वर दे वीणापाणि,विद्या विरद विरदांऊ। वर दे वीणापाणि,दिव्य गुण देवी गांऊ।। वर दे वीणापाणि,नित्य मां शीश नमाऊ। वर दे वीणापाणि,जिह्वा ज्योती जगाऊ।। साद दीप दे सारदा, साहित्य शब्द सार दे। जोउ बाट कर जोड़तो, तरणी शब्दां तारदे।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण छप्पय छंद रो प्रथम प्रयास वंश रिषी रा वीर, संभल जा रीत सुधारण। वंश चंद्र रा वीर, जागजा जग्ग जगावण  ।। वंश भाण रा वीर, भभक जा असुर भगावण। वंश अगन रा वीर, धधक जा दाळद जारण । मर्द मुवा अब जाग जा,रीत रुखाळण  बापरी । लक्ष्य भेदण लाग जा, लाज रखण कुळ आपरी।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण भावार्थ कवि छप्पय छंद का प्रथम प्रयास करता हुआ लिखता है कि हे ऋषिवंश, वंशज वीर क्षत्रीयों अब संभल जा अपने बिगड़ते हुवे संस्कार और संस्कृति को संभालने के लिए, इसलिए अपनी रीति रिवाज संभाल, हे चंद्र वंश वंशज वीर क्षत्रीयों तुम भी अब जाग जाऔ इस सोये हुवे संसार को जगाने के लिए तुम्हारे दादा कृष्ण की यदा यदा ही धर्मस्य वाले श्लोक सार्थक करो। हे सूर्य वंश वंशज वीर क्षत्रीयों अब तुम भी सूर्य की तरह भभक जाओ और अपने त...

पप्पू रो कुंडलियो

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कुंडलियो पप्पू रो बोटाॅ खातर निसरियो, फाड़'र पप्पू पूर। नोट नरे खोसे लिया, पण जीतसूं अबे जरूर।। जीतसूं अबे जरूर, भलांही पड़ जा गाभा। जीमु चूरमो चूर, मां मु बण जासूं भाभा ।। जबरी जमसी धाक, काम करसूं तब खोटा। नरिये पायो आक, पाड़सूं इणने बोटाॅ।। °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण

भंवरदान जी बीठू मधुकर माड़वा कृत दोहा

आछी कविता आपरी , दाख कविवर दीप । मधुकर ऊचे मापरी , समन्दां मोती सीप । भंवरदान जी बीठू मधुकर माड़वा कृत 🙏🏼🙏🏼⛳