Posts

Showing posts from December, 2015

दो हज़ार सोल

यार होया सब तैयार कोई दो कोई च्यार , सगलां करे इंतज़ार साल लागे सोल । कोई बीयर तो दारू कोई पिये ढोला मारू, डीयर हेपी न्यू ईयर बोले ओ  डोल  ।। इंतज़ार बारे बजी रो करे ओ इंतज़ाम, फड़ा फड़ आज करसी फटाका फोड़ । कोई नाचे बजा डीजा कोई खावै आज पीजा होडा होड करे कोड लगावतो  होड़ ।। ••••••••••••••••••••••••••••••दीप चारण साल ओ दो हज़ार सोले लावै खुसियां हौले हौले रंग ले मांडै रोज़ रंगोली हो हर दिन दिवाली होली मीठ बोले बागां रा मोर चोरी नी करे कठैई चोर सुख समृद्धि री उड़े पतंग ऊँची ऊंची चढ़े बढ़े उमंग डाल डाल कोयल बोले डीयर ऐसो हो सगलां रो हेपी न्यू ईयर •••••••••••••••••••दीप चारण

राधा कृष्णा रास

वृंदावन कानो वहिर , धेनॉ टोले धोल । भेलो भातो भायला , खवाईस मन खोल ।। गौ टोले गोपाल , गीत मुरलिये गावतो । भूली गोपी भाल , काम निवेड़ा कालिया ।। खेतां चराय खोपियां , खेलतो रास खेल । ग्वाले राधा गोपियां , मोकली प्रीत मेल ।। लइगो मन हर संग , नैण बाण मारि नट बण । रति रलि गोपी रंग, मदन सदन अँग माधवा।। मन मोहन बजत मुरली , पुगी गोपियाँ पास । बलम बिन बनी बावली , रमे स्याम सँग रास ।। गोपी सुध बुध बिसर गी , पाय स्यामलो पास । डग डग बजाय डंडिया , रमे स्याम सँग रास ।। डणण डणक्का डंडिया , छणण छड़ा छणकार । राधे माधे सँग रमी , घट पटक घूँघट घटा'र ।। •••••••••••••••••••••••••••••••••दीप चारण

कालिये रा सोरठा

कंस करे घण कोड , देय वसुदेव देवकी । फुटो गगन कन फोड़ , काल आवसी कालियो ।। ताला जन्मे तोड़ , गयो नंद रे गामड़े । हुवै न थारी होड़ , कलजुग माही कालिया ।। धेनां टोले धोलकी, बंशी मधुर बजाय । लुकै लुगड़ा लुकाय , कालिन्दी तट कालियो ।। कल कल करती कालिँदी , मधरा कहुकै मोर । घिरे देख घन घोर , कोड करे जद कालियो ।। हालिया आय हिरणिया , टणकी सुणते टेर । मांडै डग डग मेर , कला ग़ज़ब री कालियो ।। नाथण नकटो नाग , दरे नाग नाखी दड़ी । झटक्के फणा झाग , कालिँदी कूद कालियो ।। नट बण नचियो नाच , फण फुटरा  तें फोड़िया । पूंछ नाग री खांच , कालिँदी बीच  कालियो ।। गोपियां पिँचे गाल , चोर ठाय चितचोर ने । भल मोर पंख भाल , कुंवर फुटरो कालिया ।। रमतो लीला रास , सुर छेड़तोह सांतरा ।  खामंद तुँही ख़ास , क़रतो करतब कालिया ।। सोरठा करे शोर , सब कवियां रा सांतरा । डग डग थामे डोर , कला करतोह कालिया ।। जलधि पोढया जाग , कलकी कलजुग मां कठे । कांव कांव सम काग , कवि सब कूकै कालिया ।। भाव बिना भगवान , जग मा कोय न जोवसे । गलै सुँ निकले गान , कवि हिवड़े घन क...

पृथ्वीराजसी सोलंकी

Image
जबरी योगा जाणता, युगां   सुँ  योगीराज । धिन धिन तु बांसड़ा धणी,प्रणपाल पृथीराज ।। ठाये  हिवड़े   ठोड़ , ठावी  म्हारे   ठाकरां । कहि दीप कलम तोड़ ,पीथल रीत न पांतरे ।। नमक खिलावत जग्ग नाॅ ,खाय सेठ अरु दीन । कर्जा चुकाय कोय नह , नमक कढे नमकीन ।। सदा रीत रखि सांतरी , सत ज्ञानी सोलंक । इण गुण कारण आपने, अम्बे रखियो अंक ।। ••••••••••••••••••••••••••••••••दीप चारण हे ! धन्य बांसडा राज्य के स्वामी प्रण का पालन करने वाला पृथ्वीराजसी  आप कैई जन्मों से अनोखी योग विद्या को जान रहे हो आप योगीराजसी हो । 1 हे बांसडा के ठाकर आप मेरे लिये अपने ह्रदय अच्छी जगह सदा बनाये रखना दीप चारण कलम यह तोड़ते हुवै कहता हैं हे राजन !पृथ्वीराजसी अपनी रीत रिवाज परमपरां का सदैव वहन करना रजपूती रीत कभी मत भूलना । 2 आप तो सब को नमक खिलने वाले उस सागर या झील की तरह जो सबको नमक खिलाता हैं पर उस नमक को सभी अमीर और ग़रीब हर वर्ग के लोग खाते है पर नमक का कर्ज कोई भी नहीँ चुकाता हैं । सागर सभी के जिव्हा को स्वाद देता हैं पर सभी उसे खारा ही कहते हैं पर वो सभी को नमक देता...

सरकार के दो साल के कार्यकाल जश्न पर दो दोहे सोरठे

टके रो रयो टश्न , काम न करियो कामको । ठालो ठोके जश्न , भइ  भूंडी  भू  राज ए ।। 1 कुङी योजना कागदी ,  ज्यों जांफल को जूस । जनता तो बम जाणियो ,  फुसकी निकली फूस ।। 2 बरस तो दोउ बीतिया , बड़ो राज  बेकार । वीरां री इण भूमि पर ,  भइ भू राजे भार  ।।   3 बती लाल पी पी बलै , रूलती फिरै रंड । टंगै घत्त फंद गलै , बालक भोगे दंड ।।   4 चार बोतल वोडका  काम मेरा रोज़ का        :-दोहा-: ऐट पी एम आफटर , अइ एम न सी ऐम । बदला न लुँ गत बोट का , (तो) भू राजि (माई) नोट नेम ।। •••••••••दीप चारण