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Showing posts from October, 2011

dilnshin: Dilip Singh Charanहो गयी सरकार चरित्रहीन , अब तो ज...

dilnshin: Dilip Singh Charanहो गयी सरकार चरित्रहीन , अब तो ज... : Dilip Singh Charan हो गयी सरकार चरित्रहीन , अब तो जल बीन मीन तङपनी चाहिऐ । अतिश्योक्ति हो रही अत्याचारोँ की ,अब तो बदलनी चाहिऐ ।। कब ...
Dilip Singh Charan हो गयी सरकार चरित्रहीन , अब तो जल बीन मीन तङपनी चाहिऐ । अतिश्योक्ति हो रही अत्याचारोँ की ,अब तो बदलनी चाहिऐ ।। कब तक सुरक्षित रहोगेँ इसकी आङ मेँ , हो गयी ये छत जर्जर अब तो गिरानी चाहिऐ । दम घुट रहा हैँ बीन हवा केँ , अब तो आँधी उठनी चाहिऐँ ।। बहुत एकत्रित हो गया यहाँ कचरा , अब इस उकुङे को जला देना चाहिऐ । जहाँ जहाँ आग होगी वहाँ धुआ उठेगा समझे दिप , इससे मच्छर मरने चाहिऐँ ।। दिप चारण

कागज की कस्ति और बचपन के सावन , के लिए दौलत शोहरत जवानी लुटाने कि भावनाऐँ रखने को कहने वाले महान लोकप्रिय गजल सम्राट जगजीत सिँह आज हमारे लिए ढेर सारी यादगार गजलेँ छोङकर चलेँ गयेँ ।

dilnshin: Dilip Singh Charanमोहब्बत इक आग का दरिया हैँ ...हम...

dilnshin: Dilip Singh Charanमोहब्बत इक आग का दरिया हैँ ...हम... : Dilip Singh Charan मोहब्बत इक आग का दरिया हैँ ...हम तो खुद को जला बैठे इसे पानेँ मेँ । वो इक शमां थी इस पंतगेँ को मिटानेँ मेँ .... अब ...

dilnshin: kavita ऐ नादान मनुष्य न कर प्रक्रति से खिलवाङ , (p...

dilnshin: kavita ऐ नादान मनुष्य न कर प्रक्रति से खिलवाङ , (p... : Dilip Singh Charan ऐ नादान मनुष्य न कर प्रक्रति से खिलवाङ , प्रक्रति रुष्ठ हो जायेगी । प्रक्रति ने जब किया खिलवाङ , ये दुनिया अफसाना ब...

kavita ऐ नादान मनुष्य न कर प्रक्रति से खिलवाङ , (prkrti ka tandv) by dilipsingh

Dilip Singh Charan ऐ नादान मनुष्य न कर प्रक्रति से खिलवाङ , प्रक्रति रुष्ठ हो जायेगी । प्रक्रति ने जब किया खिलवाङ , ये दुनिया अफसाना बनकर रह जायेगी ।। इक जलजला सा उठेगा ... इक आँधी सी आयेगी । तापमान बढता जायेगा , ध्रुवोँ और हिमालय कि हिम पिघल जायेगी ।। नदियाँ तेजी से प्रवाहित होगी , छल-छल ,छला-छला, छल-छल तबाही का गान सुनायेगी । उछलती कुदती न्रत ताँडव करती समन्दर से मिल जायेगी ।। सागर का जल स्तर बढेगा, इश्क मेँ साहिल मिटता जायेगा । मोझेँ साहिलोँ से टकरायेगी, साहिल बिखरता जायेगा ।। ऐ नादान मनुष्य न कर प्रक्रति से खिलवाङ , प्रक्रति रुष्ठ हो जायेगी । प्रक्रति ने जब किया खिलवाङ , जगत कि दास्तां मिट जायेगी ।। अधर्म अनीति के कारण पाँच पांडवो ने , सैकङो कोरवोँ को बुरी तरह सेँ पछाङा था । इस द्रोपदी (प्रक्रति) के पाँच पांडव हैँ प्रसान्त ,आर्कटिक, अंट्रार्कटिक , अन्ध और हिन्द महासागर ... हे कलयुग के कौरवोँ ये जब करेगेँ वार आँखो मेँ नीला अंधेरा छायेगा , काल कि नीली छाया नजर आयेगी ।। ऐ नादान मनुष्य न कर प्रक्रति से खिलवाङ , प्रक्रति रुष्ठ हो जायेगी । प्रक्रति ने जब किया खि...
Dilip Singh Charan मोहब्बत इक आग का दरिया हैँ ...हम तो खुद को जला बैठे इसे पानेँ मेँ । वो इक शमां थी इस पंतगेँ को मिटानेँ मेँ .... अब क्या बाकि रहा देखनेँ को अपना अफसाना मिलाकर तेरे अफसानेँ मेँ ।।

dilnshin: ho gyi hai sarkar charitr hin, pani bin meen tadpn...

dilnshin: ho gyi hai sarkar charitr hin, pani bin meen tadpn... : ho gyi hai sarkar charitr hin , pani bin meen tadpni chahiye . atisyokti ho gyi hai atyacharo ki ,ab to sarkar girni chahiye.
ho gyi hai sarkar charitr hin , pani bin meen tadpni chahiye . atisyokti ho gyi hai atyacharo ki ,ab to sarkar girni chahiye.

subcd

Dilip Singh Charan कोई बहुत सारी डिग्रीयाँ लेकर भी बेरोजगार होकर घर मेँ पङा , पङा क्या , पङा-पङा सङा ।। उघर कोई अगुठा छाप होकर भी साला संसद मेँ खङा । खङा क्या, खङा-खङा खावै सस्ते मेँ मिर्ची बङा ।। अरे दिप ! कितना मस्त बङबङा रहा है, और भी तो कुछ बङबङा

dilnshin: prmatma stuti by kvi deep charan

dilnshin: prmatma stuti by kvi deep charan : Dilip Singh Charan तुहीँ जगमगाती ज्योति अखण्ड । तुहीँ अखिल व्यापक ब्रह्रम्ड।। तुहीँ चार वेद अठारह पुराण । ...

dilnshin: prmatma stuti by kvi deep charan

dilnshin: prmatma stuti by kvi deep charan : Dilip Singh Charan तुहीँ जगमगाती ज्योति अखण्ड । तुहीँ अखिल व्यापक ब्रह्रम्ड।। तुहीँ चार वेद अठारह पुराण । ...

prmatma stuti by kvi deep charan

Dilip Singh Charan   तुहीँ जगमगाती ज्योति अखण्ड । तुहीँ अखिल व्यापक ब्रह्रम्ड।। तुहीँ चार वेद अठारह पुराण ।                                                                                                                                                  ...