Dilip Singh Charan ऐ नादान मनुष्य न कर प्रक्रति से खिलवाङ , प्रक्रति रुष्ठ हो जायेगी । प्रक्रति ने जब किया खिलवाङ , ये दुनिया अफसाना बनकर रह जायेगी ।। इक जलजला सा उठेगा ... इक आँधी सी आयेगी । तापमान बढता जायेगा , ध्रुवोँ और हिमालय कि हिम पिघल जायेगी ।। नदियाँ तेजी से प्रवाहित होगी , छल-छल ,छला-छला, छल-छल तबाही का गान सुनायेगी । उछलती कुदती न्रत ताँडव करती समन्दर से मिल जायेगी ।। सागर का जल स्तर बढेगा, इश्क मेँ साहिल मिटता जायेगा । मोझेँ साहिलोँ से टकरायेगी, साहिल बिखरता जायेगा ।। ऐ नादान मनुष्य न कर प्रक्रति से खिलवाङ , प्रक्रति रुष्ठ हो जायेगी । प्रक्रति ने जब किया खिलवाङ , जगत कि दास्तां मिट जायेगी ।। अधर्म अनीति के कारण पाँच पांडवो ने , सैकङो कोरवोँ को बुरी तरह सेँ पछाङा था । इस द्रोपदी (प्रक्रति) के पाँच पांडव हैँ प्रसान्त ,आर्कटिक, अंट्रार्कटिक , अन्ध और हिन्द महासागर ... हे कलयुग के कौरवोँ ये जब करेगेँ वार आँखो मेँ नीला अंधेरा छायेगा , काल कि नीली छाया नजर आयेगी ।। ऐ नादान मनुष्य न कर प्रक्रति से खिलवाङ , प्रक्रति रुष्ठ हो जायेगी । प्रक्रति ने जब किया खि...