आदर्श वर्दीधारी
आदर्श वर्दीधारी
दम्पती राम देवरे, देव दरश को जाय।
पास नह यंत्र फोनड़ो,बैरि भीड़ बिछड़ाय।।
बिछड़ियां ने मिलाविया, करतां रात्री गस्त।
मुकनजी मोटा मानवी, करता ड्यूटी मस्त।।
देख बिलखती नार ने, रूंदन कारण जान ।
खामंद दियो खोज ने, मरद्द इ मुकनदान ।।
तुलसी ने हनुमान ,भेंटायो जिम राम सूं ।
मड़द्द इ मुकनदान, रूंदित धण ने नाह सूं।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
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