अन्य कवियों के गीत सपाखरो


गीत – सपाखरो

देवां दातारां जूझारां चारां वेदां अवतारां दशां,
धरां हरां ग्यारां रवि बारां चारां धांम।।
सतियां जतियां सारां सुरां पुरां रिषेसरां,
पीरां पैगम्बरां सिद्ध साधकां प्रणाम।।१।।

नवां नाथां नवां ग्रहां नवसो नवाणुं नदी,
नखत्रां नवेही लाखां भाखां नवे निद्ध।।
पर्वतां आठ कुळां वसु आठ वंदां पाव,
साठ आठ तिरथां समेतां आठ सिद्ध।।२।।

सात वारां सातविसां नखत्रां सरग्गां सात,
सप्त समुदरां सात पेयाळां तत सार।।
पुरांणां अढारां भारां अढारां वनस्पति,
ऊच्चरां आदिनाथ औमकार।।३।।

पारस कल्पतरू चंद्र सुर दिगपाळ,
पृथ्वी आकाश पाणी पावक पवन्न।।
कैलाशवासी ईश कुबेर नमस्कार,
ब्रहमा गणेश शेष खगेश विसन्न।।४।।

अयोध्या मथुरा माया काशी कांची अवंतिका,
पुरी द्वारामति सरसति गंगा पार।।
गौदावरी जरी रेवा गौमती प्रयाग गया,
कावेरी सरजु मही बद्री कैदार।।५।।

सौमवल्ली चिन्तामणी रोहिणी सुभद्रा सोहां,
सावित्री गायत्री गीता अरूधन्ती सीत।।
कामधेनु श्री अदिती रंदल द्रौपदी कुन्ती,
पार्वती सति तारा लोचन पवीत।।६।।

चौरासी चारणी देवी छप्पन कोटि चामुण्डा,
माता हिंगळाज आशापुरा महामाय।।
अंबिका कालिका नागणेशी डुंगरेची आई,
रवेची चाळकने़ी नमो सुरंराय।।७।।

वाल्मिकी शुकदेव वशिष्ठ अत्री वेदव्यास,
गौतम नारद ईन्द्र सालिग्राम।।
जमद्ग्न धर्म प्रथु मानधाता जंजीठल,
रणछोड़राय रिषयावन्त राजा राम।।८।।

मछन्दर जालंधरनाथ गौरख धुँधळीमल,
चक्रवृती अजयपाळ गोग चहुआंण।।
मल्लिनाथ जसराज मांगणां सुं तुषमांन,
रामदे सोमदे पाबु रायमल्ल् रांण।।९।।

जंगमां थावरां गिणां गंध्रवां किन्नरां जख्खां,
विघन बुराई वाद वारीजै वियाध।।
कमाई रां पुरां नरां अमरां हमीर कहे,
अमां रिधी सिधी दीजो वडा् रे आराध।।१०।।

             ~~कवि हमीरदान जी रतनू


महान कविवर हुकमीचंद खिडिया रो करणी जी रो गीत
               जात – सपाखरो
वेदां वरन्नी आलोकां भेदां तुळज्जा तरन्नी बाळा,
रंगी शूळ तोकां ओकां भरन्नी रगत्त।
अधोकां राकेश शीश धरन्नी धरन्नी ईस,
सरन्नी त्रिलोकां नमो करन्नी शगत्त॥1॥

आभा निलै नूर छाजै नवीनां मयंक वाळी,
छीनां लंक वाळी वाजै घंटका छुद्राळ।
जुगां वाळी देहा री पै वेहा री अनुजा जयो,
मेहा री तनुजा जयो घंटाळी मुद्गाळ॥2॥

मत्ती क्रोध दाव दूठ दाहणी असन्त मांडां,
सन्त चाडां आवै शीघ्र चाहणी सादेश।
बूडंती जिहाजां सिंधु थाहणी अथाहां बांहां,
अग्राहणी साहां सिंघ वाहणी आदेश॥3॥

क्रोड वे तैतीस देव वंशा चा सारणा काज,
महाराज तेज पुंज धार्यो असमांण।
नरां लोक तारणां पै असारणां जहां नेवी,
देवी जै कारणां नमो चारणाँ दिवाण॥4॥

     🌙जय महाकाल ग्रुप


[ सपाखरूं - प. पू. ब्रह्मानंद स्वामी ]

धरा उपरा अगाध धरा हरा नरा रूप धरा,
अमरा नमरा कंध भ्रमरा अमीर,
करां खेम गेम हरा कामना विनाश कारा,
भरा भरा क्रित भरा बुधीरा गंभीर.

सागरा रागरा लेत नागरा श्रृंगार सारा,
आगरा त्यागरा चिन्ह भागरा अथाह,
जागरा अधीश रूद्र सदा द्यान प्रजागरा,
वाघरा अंबरा वेण बागरा सुबाह.

डम्मरा भ्रम्मरा फरा देख भेख आडंबरा,
थथरा अथरा डराकारा काल दीक,
जराजीत जाम जरा अजरा हळाळ जरा,
जरा तरा अंग परा नाजरा नजीक.

वरादेव सती वारा शेखरा सरित वरा,
परा वरा जोगेशरा उच्चरा अपार,
शीरा नीर गंग जरा 'मुनी ब्रह्म' अनुसरा,
सिधेसरा देव खरा उधारा संसार.-

प. पू. ब्रहमानंद स्वामी (लाडुदान आशिया )

                प्रेषक
    🌙जय महाकाल ग्रुप




Comments

Popular posts from this blog

काम प्रजालन नाच करे। कवि दुला भाई काग कृत

आसो जी बारठ

कल्याण शतक रँग कल्ला राठौड़ रो दीप चारण कृत