अपसरा इठोत्तरी दीप चारण कृत
साद सांभले सारदा , शब्दां रो दो सार ।
मेट'र अवगुण मावड़ी ,धर जिह्वा रै धार ।।
धर जिह्वा रै धार , कंठ सू निकले कविता ।
आखर देय अपार , सुरा री बहाय सरिता ।।
तेज अरक रो अब्ब , भाल ऊपर यूं भरदे ।
सुधरे कारज सब्ब , विनती सांभल सारदे ।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
अलबेली हे अपसरे
गन्धर्वां सूं गवाय, ईठलाकर इठोत्तरी ।
मधुरं वाद्य बजाय, अलबेली हे अपसरे।। 1.
नट बन करती नृत्य , गान सुन गन्धर्व का ।
नव योवना तुं नित्य , अलबेली हे अपसरे ।। 2.
नाचती चहूं ओर, आंगण अम्बर आपरो ।
अदाऐं आठ पोर, अलबेली हे अपसरे।। 3.
भर कर मन में मौज, नुपुर बजा लुक जावती।
देव सब रया खोज, अलबेली हे अपसरे।। 4.
सुमधुर सँगीत शौर , नृत्य संग जो सुने ।
होवत भाव विभोर , अलबेली हे अपसरे ।। 5.
ता- ता-धीं-ना तान , तगड़ि तराना ताल हैं ।
गुनगुनात नच गान , अलबेली हे अपसरे ।। 6.
छमम छम छम छमाक, बिछिया बजाय बाजणा ।
धरां पग धर धपाक, अलबेली हे अपसरे ।। 7.
गन्धर्व गान सुन्न , थिरकत पद आनंद में ।
नच नीलकंठ धुन्न , अलबेली हे अपसरे ।। 8.
झनन नुपुर झंकार , आसमान से उतरती ।
विविध अभूषण धार , अलबेली हे अपसरे ।। 9.
जोत रथ अश्व सात , गगन में नित गमन करे ।
भू पर बिताय रात , अलबेली हे अपसरें ।। 10.
कटि भृकुटी से काम , छलकाती तुं कामिनी ।
जुल्फ से पाय जाम , अलबेली हे अपसरे ।। 11.
कंचन कटार नैन , उर से चंचल उर्वशी ।
वीणा समान बैन , अलबेली हे अपसरे ।। 12.
पुरुरवा पाल प्रीत , उर में बसाइ उर्वशी ।
रूड़ी रचाई रीत , अलबेली हे अपसरे ।। 13
अंग अंग में अग्न , रम्भा अपार रूपसी ।
मन मति करती मग्न , अलबेली हे अपसरे ।। 14
मृदुल मुखं मधुमास ,मनं मोहिनी मेनका ।
सोमरस भरि गिलास , अलबेली हे अपसरे ।। 15
वस्त्रं महकै इत्र , मधुकलश अंग मेनका ।
विवश भ्ये विश्वामित्र , अलबेली हे अपसरे ।। 16
दलण सुंद उपसुंद , तरकिब बनी तिलोत्तमा ।
युद्ध करायो द्वंद , अलबेली हे अपसरे ।। 17
त्रिकिट धा छेड़ तान , त्रिलोक माहि तिलोतमा ।
दर्शन का दे दान , अलबेली हे अपसरे ।। 18.
जोबन तेरा जोर , जगमगे चन्द्र ज्योत्सना ।
भर जीवन में भोर , अलबेली हे अपसरे ।। 19.
तन्न दुधारी तेग , मीन अक्षिय मनोरमा ।
तीव्र पवन सम वेग , अलबेली हे अपसरे ।। 20.
नाग वासँग(सं )केश , कर्णिका लता केशिनी ।
दूर बसे घन देश , अलबेली हे अपसरे ।। 21.
मोहित सुर सुन साद , सुरसा सुरजा सुप्रिया ।
सुहँसी गंग निनाद , अलबेली हे अपसरे ।। 22.
अद्भुत अनुपम अंगि ,अरुणा असिता अनुचना ।
वाणी नाद मृदंगि , अलबेली हे अपसरे ।। 23.
कंठ पिक मन मयूर , उमलोचा वपु मारिची ।
कोउ क्हे हसीं हूर , अलबेली हे अपसरे ।। 24.
अलौकिक जो आलोक , विद्युतपर्ना विषवची ।
इतरत इन्द्र लोक , अलबेली हे अपसरे ।। 25.
भोगी को दे भोग , काम्या क्षेमा रितुशला ।
मेटे विरह वियोग , अलबेली हे अपसरे ।। 26.
अष्ट सिद्धि नव निद्धि , इ्ंद्रलक्ष्मी , लक्ष्मना ।
अति बढाय बल बुद्धि , अलबेली हे अपसरे ।। 27
कंवलइ रुइ कपोल , पुष्पदेहा अलम्वुषा ।
घूघट पट झट खोल , अलबेली हे अपसरे ।। 28.
चाल में बजत चंग , नाभिदर्शना बुदबुदा ।
देवगण देख दंग , अलबेली हे अपसरे ।। 29.
गुलाबि अधर गुलाब , गुणि गुनमुख्या गुनुवरा ।
सुरम्य तुहीं शराब , अलबेली हे अपसरे ।। 30.
तप्प तपस्वी तोड़ , निरखत पावन रूप है ।
मृग अक्षि मुख ना मोड़ , अलबेली हे अपसरे ।। 31.
उतरे धाधल डेर , मंजुघोषा सुंदरी ।
अश्व बन रही फेर , अलबेली हे अपसरे ।। 32
वरने उतरे वीर , अनंगसेना सखि सहित ।
राजी पा रणधीर , अलबेली हे अपसरे ।। 33.
योद्धा का कस हाथ , आलिंगन करे आप तो ।
बाथां डाले बाथ , अलबेली हे अपसरे ।। 34.
दे हथनापुर (को)द्रोण , धरा उतरे घृतायची ।
महभारत से मौन , अलबेली हे अपसरे ।। 35.
रिझाय ऋषियां रूह , जोद्धा जणिया जोर रा ।
किंया बखाण करूंह , अलबेली हे अपसरे ।। 36.
देवी अति दातार , कृतस्थली पुंजिकस्थला ।
बसंत सम सिणगार , अलबेली हे अपसरे ।। 37 .
अद्रिका तोर अंग , रति-अनंग को संग हैं ।
करत है ध्यान भंग , अलबेली हे अपसरे ।। 38.
दमकत दाड़मि दंत , तोर अधर बिच अद्रिका ।
मुदित देव होवंत , अलबेली हे अपसरे ।। 39.
अृमत कलश से कूच , छलकते छिलाछिल भरे ।
मले सुर असुर मूंछ , अलबेली हे अपसरे ।। 40.
या
सुघट घट अमिय कूच , छलकते छिलाछिल भरे
मले सुर असुर मूंछ , अलबेली हे अपसरे ।। 40.
लाम लहरते खेत , पाण-पग मैंहदी महक ।
उतरि धर वस्त्र स्वेत , अलबेली हे अपसरे ।। 41.
पसमिना ओढ साल , शरमाती ऋतु शीत में ।
बिन्दी सोभे भाल , अलबेली हे अपसरे ।। 42.
मुख पूनम को चांद , दशमलव सो कपोल तिल ।
वर दे मेट विषाद , अलबेली हे अपसरे ।। 43.
शुक सम तीखी नाक , डोरे कंचे डोलते ।
पलकें तितली पांख , अलबेली हे अपसरे ।। 44 .
बांहां बाजूबंद, ओपत गजरा आंवला ।
सरस प्रसून सुगंध , अलबेली हे अपसरे ।। 45.
रागनियों का राग , सुरपुर की तुम शान हो ।
ब्रह्म रचित हो बाग , अलबेली हे अपसरे ।। 46.
कन्दोल लड़ लटक्क, होले कटि पर हिण्डती।
अंखियां रही अटक्क, अलबेली हे अपसरे ।। 47.
बाला तोर बगेर , सारा सुरपुर विरान हैं ।
सुर पर करती मेर , अलबेली हे अपसरे ।। 48.
सुरमा लोचन साज , गुंथित गजरा गैसुओं ।
गिराती चलत गाज , अलबेली हे अपसरे ।। 49.
मोतीन कंठ माल , हीरा जड़ंत हार हैं ।
लालि रचे लब लाल , अलबेली हे अपसरे ।। 50.
रथ तेरो हर रात , घूघर घमकावे घणा ।
सखियां हँसती साथ , अलबेली हे अपसरे ।। 51.
देव सभा में बस्स , प्याला भर भर प्रीत सों।
पूर्सती सोम रस्स , अलबेली हे अपसरे।। 52.
रूपालो रँग रूप, गजगाम्णी मन मोवणो।
शरद सुहानी धूप, अलबेली हे अपसरे।। 53.
उपवन सुंदर जान, अँक अलि छिपे अँभोजनी ।
अटूट तेरी आन , अलबेली हे अपसरे ।। 54.
रतिपति मति अति व्यस्त, नैनन नक्स निहारते।
मद्य पी मदन मस्त, अलबेली हे अपसरे।। 55.
शचिपति सदा दुरुस्त, सानिध्य पाय सांतरो ।
इमरत पी सुर चुस्त, अलबेली हे अपसरे।। 56.
झँकृत हिय वीण तार, आकर संगीत सुण ले।
पुकारूं बार बार, अलबेली हे अपसरे।। 57.
ठाढी रख कर मीठ, वंश अनेक उबारिया।
पलट बता ना पीठ, अलबेली हे अपसरे।। 58.
किस्सा हर जुग होय, अनगिनत अठै आपरा।
दे कद दिदार मोय, अलबेली हे अपसरे।। 59
थांरो लिखतां काव्य, आखर अब ना ऊकले।
दीप जगा हिय दिव्य, अलबेली हे अपसरे ।। 60.
चावै देव समीप, स्वर्ग सूं किकर आवसो।
दूर जले ओ दीप, अलबेली हे अपसरे।। 61.
देख नयन अब खोल, कोय कवि लिखे आप पर।
बैली बन कर बोल, अलबेली हे अपसरे।। 62.
दुरसाह गांम दोय, विरद पते रो लिख लिया ।
हूं विरदावत तोय, अलबेली हे अपसरे।। 63.
थांरे वस में देव, एक सूं बढ़'र एक है।
मेटो भव रा भेव, अलबेली हे अपसरे।। 64.
चातक जोवै बाट, स्वाति बूँद री बादली।
रलल छम नाख छांट, अलबेली हे अपसरे।। 65.
बना दे म्हनै बाग, बागवान तुम्ही बनो।
छेड़ो बहार राग, अलबेली हे अपसरे।। 66.
हरती कष्ट हजार , हरदम तूं हदपार हैं ।
महिमा अपरम्पार , अलबेली हे अपसरे ।। 67.
मदमस्त थये मन्न, पढ्यां काव्यं पाठड़ो ।
ताजो करदे तन्न, अलबेली हे अपसरे।। 68.
रमती रूड़ो रास, रम्भा बूझा प्यास रे।
ना कर दीप निरास, अलबेली हे अपसरे।। 69.
आंखें गढा अकाश, मार्ग देखूं मेनका।
ना कर दीप निरास, अलबेली हे अपसरे।। 70.
आम से करो खास, उर कर उज्ज्वल उर्वशी।
ना कर दीप निरास, अलबेली हे अपसरे।। 71.
हर छिन कर मधु मास, आय तुरंत तिलोत्तमा।
ना कर दीप निरास, अलबेली हे अपसरे।। 72.
देव आपरा दास , चांटि कढ चंद्र ज्योत्सना।
ना कर दीप निरास, अलबेली हे अपसरे।। 73.
कुल किताई कुलीन, सम्पन्न हुआ आप सों।
दीप रहग्यो दीन, अलबेली हे अपसरे।। 74.
जाणूं न मंत्र जंत्र, जाणूं न कोय साधना।
तोड़ दुर्भाग्य तंत्र, अलबेली हे अपसरे।। 75.
दूर करो सब दोष, चारण शरणे लेयने।
प्रीत सूं पाल पोष, अलबेली हे अपसरे।। 76.
दीपू गढ़वी गाय, सोरठा रचे सांतरा।
तुरंत प्रसन्न थाय, अलबेली हे अपसरे।। 77.
सोरठा सितर आठ, स्तुति में लिख्या दीपसा।
ठावा ठाये ठाठ, अलबेली हे अपसरे।। 78.
शक्र फक्र भरपूर, नैनंतारा नूर ते ।
व्रजा तप किय चूर, अलबैली हे अपसरै।।
इति श्री दीप चारण कृत अप्सरा इठोत्तरी सम्पूर्णम्
तज सुरसरि तट वास, हे कश्यप कपिलासुता,
बुझा दिदार प्यास, मृगनयनी हे मेनका।। 1
सह्या किताहि श्राप,निज धरम नित निभावते।
दीप रा धोय पाप, मृगनयनी हे मेनका।। 2
नृत्य पर करत नाज, देव सब नित्य देखके।
आय दरश दे आज, मृगनयनी हे मेनका।। 3
दीदार चहे दीप, भोग की नाहि भावना।
साद सून आ समीप, मृगनयनी हे मेनका।। 4
छमम छड़ा छनकार, घम घम घूघर घम्मका ।
नटखट सुरपुर नार, मृगनयनी हे मेनका।। 5
झटक झटक लाम लट्ट, मंदाकिनी तट नाचती।
झलक पलक दे झट्ट, मृगनयनी हे मेनका।। 6
विश्वामित्र कर वश्श, करि रिछा पूर्ण इन्द्र री।
जबर लियो तें जस्स, मृगनयनी हे मेनका।। 7
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
महाभारत मँडाण , अद्रिका हुवियो आपसूं |
घणा कर्या घमसांण , अलबेली हे अपसरे ||
'निफ़्' यूनानी नाम , अरबी 'हूर' हिन्दु 'अप्सरा' |
तोह जाणत तमाम , अलबेली है अपसरे ||
दीप केपसा दोय , प्रीत सूँ तने पुकारे |
हेलै हाजिर होय , अलबेली हे अपसरे ||
तैं चौरेह तिल तिल , संसार रे सौन्दर्य रो |
जो तिलोत्तमा जटिल , अलबेली हे अपसरे ||
सुँद उपसुँद सँहारण , रचि तिलोत्तमा घण रीझ |
मेली मैख मारण , अलबेली हे अपसरे ||
निरखंत आप नूर , शिवरिपु पण होवत सक्रिय |
दीपसा सुँ क्यूँ दूर , अलबेली हे अपसरे ||
°°°°°°°°°°°°°°°°° श्याम दान जी रत्नु कृत
अठहतर लिख्या आप,शब्द पुहप सुरंगा।
जपिया पूरा जाप,अब दरश दे अपसरे।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°शम्भू सिंह जी बावरला कृत
कवि -परिचय नाम -:दिलीप सिंह चारण (दीप चारण )
जन्म -: 20- मई - 1988
जन्म-स्थान-: देशनोक (ननीहाल में )
पिता -: श्री जगदीश दान चारण
दाता -: श्री शक्ति दान चारण
गांव-: बैह चारणान , त• ओसियाँ ,जिला जोधपुर
हाल ही निवास -: इन्दिरा कॉलोनी बाड़मेर
सम्पर्क सुत्र -: 9660525254
email add. Dilipsingh.charan@gmail.com
शिक्षा -: एम • ए ,(राजस्थानी ,राजनीति विज्ञान ) बी•एड, एल. एल. बी ।
https://youtu.be/QnS9UjvsN6Q
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