सिव स्तूति भुजंग प्रयात
अवधूत अष्टकम् दीप चारण कृत
गणपति थांरा गांउ गुण ,
गुणी ग़ज़ब तुं गणेस ।
सुडाला सदा साद सुण ,
हरजै कष्ट हमेस ।।
सिव सुत सुंडाला जपु हुँ ,
सुरसति दीजौ उक्ति ।
बम बम भोले बोलतो,n
साद सदा सिवसक्ति ।।
।।भुजंग प्रयात ।।
सदा साद भूतेश रूद्रं महेसं ।
उमा संग वासं हिमालै निवासं ।।
नचे नाच नाटं पिये घोट भंगा ।
भुजंगेस अंगा धरे सीस गंगा ।। ।1।
सदैवं नमे नाग देवं अदेवं ।
भयं भंज भोले करे भक्त सेवं ।।
अजन्मा अनोखा अघोरी अढंगा।
भुजंगेस अंगा धरे सीस गंगा ।। ।2।
पुजे सावणं मास कन्या कुवांरी ।
पुजंते -पुजंते पि पावै पियारी ।।
धरे ध्यान सोमं अऊमं मतंगा ।
भुजंगेस अंगा धरे सीस गंगा ।।।3।
सिवं तांडवं नाच गौरीय तांकै ।
हहो हांक हांकै सिखीराज बांकै।।
पहाड़ं पहाड़ं मचा हूँड़दंगा ।
भुजंगेस अंगा धरे सीस गंगा ।।।4।
धमा धम्म झूमे नचे खोल जट्टा ।
घमा घम्म घूमे उड़े केस लट्टा ।।
बजाते डमा डम्म डैरू मृदंगा ।
भुजंगेस अंगा धरे सीस गंगा ।।।5।
तताकं तताकं तके तीन लोकं ।
धधक्कै धुणो देय संसार धोकं ।।
उमा नाथ आओ उमा मात संगा ।
भुजंगेस अंगा धरे सीस गंगा ।।।6।
जयो योग जोगी जगी जोत जानी ।
जयो योग माया जयो मां भवानी ।।
रमा भस्म भोले भमे भंग रंगा ।
भुजंगेस अंगा धरे सीस गंगा ।। ।7।
मखाणा धतूरा चढ़े और मेवा ।
महादेव देवा करे भक्त सेवा ।।
गुणं चारणं दीप गावंत चंगा ।
भुजंगेस अंगा धरे सीस गंगा ।।।8।
••••••••••••••••••दीप चारण कृतं
छंद छप्पय
भस्म रम भूतनाथ , धगग धगग धुणि धुखाते ।
भस्म रम भूतनाथ , डमम डुगडुगी बजाते ।।
भस्म रम भूतनाथ , मंद मंद मुस्कुराते ।
भस्म रम भूतनाथ , रास तांडवम रचाते ।।
धिनकट धिनकट नाचते, झटक पटक लट केश री ।
चारण गण गुण गावते , माया देख महेश री ।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण कृत
भस्म रम भूतनाथ, पर्णवा गयो (जद )पार्वती।
••••••••••••••••••••••••••••••••दीप चारण
डमा डमा डमाक गूंजावते डमरू डणकांरा,
गले मूंड माला पाण त्रिशूल विशाला जटा गंग,
चंद्रभाल नेत्रलाल भंगगाल पी करे कमाल,
कालकाल महाकाल ललाटाक्ष कपाली कामारी
हिमालै रा जमाता कार्तिकेय ताता हिरण्यरेता,
रूप धरे द्वादश्श गांजे रा ले कस्स बस्स विराने,
सामप्रिय दुर्धर्ष गिरीश विरूपाक्ष शम्भू ,
क्रमश: ..........................
छंद विधाता
शिव
नमो अरधंग गौरी घर,
भुजंगा संग जट्टाधर।
नमो भोला नमो शंकर,
नमो हरिहर नमो हरिहर।।
नमो भूतेश गंगाधर,
फुफाड़े नाग फर फर फर।
नचे नटराज घुम घुम कर
नमो हरिहर नमो हरिहर।।
धुजेह धराह थर थर थर,
नमे सुर असुर जोड़े कर।
पुजे हरमेश नारी नर,
नमो हरिहर नमो हरिहर।।
सिंचे शिवलींग जप हर हर,
सहाय सदैव पग पग पर।
दिजो खालीय झोली भर
नमो हरिहर नमो हरिहर।।
रमे घूमर घणेरी घल,
रमन्ती मां उमा सह रल
डमा डम डमरु बाजे कर
नमो हरिहर नमो हरिहर
बहन्ती गंग कळ कळ कळ,
शिखा नित शशि चमकतो भळ।
लपेट लँगोट बाघाम्बर,
नमो हरिहर नमो हरिहर।।
हलाहल गटकियो भोला
मदन ने जालियो ज्वाला
त्रिलोचन खोल बायो सर
नमो हरिहर नमो हरिहर
किताई भक्त तूं तारे
किताई असुर तूं मारे
किताई रावण लिया वर
नमो हरिहर नमो हरिहर
महादेव चल चढ नंदी
मिटादो भक्त री मंदी
शिवा सह डोल पथ डूंगर
नमो हरिहर नमो हरिहर
°°°°°°°°°दीप चारण
गणपति थांरा गांउ गुण ,
गुणी ग़ज़ब तुं गणेस ।
सुडाला सदा साद सुण ,
हरजै कष्ट हमेस ।।
सिव सुत सुंडाला जपु हुँ ,
सुरसति दीजौ उक्ति ।
बम बम भोले बोलतो,n
साद सदा सिवसक्ति ।।
।।भुजंग प्रयात ।।
सदा साद भूतेश रूद्रं महेसं ।
उमा संग वासं हिमालै निवासं ।।
नचे नाच नाटं पिये घोट भंगा ।
भुजंगेस अंगा धरे सीस गंगा ।। ।1।
सदैवं नमे नाग देवं अदेवं ।
भयं भंज भोले करे भक्त सेवं ।।
अजन्मा अनोखा अघोरी अढंगा।
भुजंगेस अंगा धरे सीस गंगा ।। ।2।
पुजे सावणं मास कन्या कुवांरी ।
पुजंते -पुजंते पि पावै पियारी ।।
धरे ध्यान सोमं अऊमं मतंगा ।
भुजंगेस अंगा धरे सीस गंगा ।।।3।
सिवं तांडवं नाच गौरीय तांकै ।
हहो हांक हांकै सिखीराज बांकै।।
पहाड़ं पहाड़ं मचा हूँड़दंगा ।
भुजंगेस अंगा धरे सीस गंगा ।।।4।
धमा धम्म झूमे नचे खोल जट्टा ।
घमा घम्म घूमे उड़े केस लट्टा ।।
बजाते डमा डम्म डैरू मृदंगा ।
भुजंगेस अंगा धरे सीस गंगा ।।।5।
तताकं तताकं तके तीन लोकं ।
धधक्कै धुणो देय संसार धोकं ।।
उमा नाथ आओ उमा मात संगा ।
भुजंगेस अंगा धरे सीस गंगा ।।।6।
जयो योग जोगी जगी जोत जानी ।
जयो योग माया जयो मां भवानी ।।
रमा भस्म भोले भमे भंग रंगा ।
भुजंगेस अंगा धरे सीस गंगा ।। ।7।
मखाणा धतूरा चढ़े और मेवा ।
महादेव देवा करे भक्त सेवा ।।
गुणं चारणं दीप गावंत चंगा ।
भुजंगेस अंगा धरे सीस गंगा ।।।8।
••••••••••••••••••दीप चारण कृतं
छंद छप्पय
भस्म रम भूतनाथ , धगग धगग धुणि धुखाते ।
भस्म रम भूतनाथ , डमम डुगडुगी बजाते ।।
भस्म रम भूतनाथ , मंद मंद मुस्कुराते ।
भस्म रम भूतनाथ , रास तांडवम रचाते ।।
धिनकट धिनकट नाचते, झटक पटक लट केश री ।
चारण गण गुण गावते , माया देख महेश री ।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण कृत
भस्म रम भूतनाथ, पर्णवा गयो (जद )पार्वती।
हथलेवे थम हाथ , समो जोय सरमावती ।।
••••••••••••••••••••••••••••••••दीप चारण
छंद :- पंच चामर
नमाय नाक लोक तीन बम्म बम्म बोलते ।
घुमंत घोर जोर नाचते त्रिशूल तोलते ।
उमाह संग भूतनाथ बैठ बैल टोलते ।
भुजंग कंठ हार केस गंग धार डोलते ।
मृदंग नाद धाधिनांक धाधिनांक बाजतो ।
महेस खोल केस ताक ताक धीन नाचतो ।
अदेव देव पाण जोड़ता करे खमा खमा ।
उमा सदा शिवं निहारती सुणे डमा डमा ।
••••••••••••••••••••••••••••दीप चारण
महेस खोल केस ताक ताक धीन नाचतो ।
अदेव देव पाण जोड़ता करे खमा खमा ।
उमा सदा शिवं निहारती सुणे डमा डमा ।
••••••••••••••••••••••••••••दीप चारण
मतगयंद मालती सवैया
शिव तांडव
नाग फणा पटकारम गंग जटालम संकर लोचन लालं ।
डाक डमा डम डाक डमा डमका डमरू डणकार उछालं ।
घूम घमा घम धूम धमा धम घूघर झूम बजा पद चालं ।
भाल गुलालम कूद कमालम ताधिन ताधिन तांडव तालं । ||1||
डाक विसालम सीस धुणालम लामलटा ससिसेखर खोले ।
ताक तताक तधीम तनां तन धूम तता धिन नाचत भोले।
धूम तताक धिंताक तधीम तताक तनां मिरदंगम बोले।
संग उमा भसमा रम वास मसाणम राग तरानम घोले। ||2||
••••••••••••••••••••••••••••••••••दीप चारण
गीत जात सपाखरु महादेव जी रो दीप चारण कृत
डमा डमा डमाक गूंजावते डमरू डणकांरा,
त्रिकाल त्रिलोक धरा पताल आकाश।
भक्तांरा असुरांरा अघोरांरा आराध्य भोला,
करतांह कूदा कूद धूजावे कैलाश।। 1
गले मूंड माला पाण त्रिशूल विशाला जटा गंग,
बहे कल्ल कल्ल भोला सुभाव बहाव।
दिगम्बर बाघाम्बर पैर पीर पैगाम्बर ओप्ता,
ज्टाला जोराला दाड़ी मूछ वाला दे ताव।। 2
चंद्रभाल नेत्रलाल भंगगाल पी करे कमाल,
भोलो भूताॅ रो प्रेताॅ रो मसाणाॅ रो भूप।
अंगा अंगा भुजंगा फूंकांरा जटा बहे गंग धारा,
अघोरा उम्या प्यारा थांरा रूप अनूप।। 3
कालकाल महाकाल ललाटाक्ष कपाली कामारी
त्रिपुरारी सोम नीलकंठ त्रिलोकेश ।
सुत हेक दंत अंश हनूमंत पूजे सब संत,
विश्वेश्वर वीरभद्र भीम व्योमकेश ।। 4
हिमालै रा जमाता कार्तिकेय ताता हिरण्यरेता,
वृषांकं वृषभारूढा देव वामदेव।
मृगपाणी शूलपाणी गुंजे डिमं डिमं वाणी,
मृत्युंजय पंचवक्त्र रूद्र महादेव।। 5
रूप धरे द्वादश्श गांजे रा ले कस्स बस्स विराने,
तूं ही नव रस्स थांरो जग गावे जस्स ।
भुजंगा अंगा अंगा रमे मस्त मलंगा भर्ग भमे ।
घूमे घूमर घाले भस्मी शरीर घस्स ।। 6
सामप्रिय दुर्धर्ष गिरीश विरूपाक्ष शम्भू ,
शंकर श्रीकंठा शितिकंठा गणनाथ ।
अवधूत पूषदन्तभित्त तमे नमे भूत प्रेत,
हे! हर हूर गन्धर्व सर्व जोड़े हाथ ।। 7
क्रमश: ..........................
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° दीप चारण
छंद विधाता
शिव
नमो अरधंग गौरी घर,
भुजंगा संग जट्टाधर।
नमो भोला नमो शंकर,
नमो हरिहर नमो हरिहर।।
नमो भूतेश गंगाधर,
फुफाड़े नाग फर फर फर।
नचे नटराज घुम घुम कर
नमो हरिहर नमो हरिहर।।
धुजेह धराह थर थर थर,
नमे सुर असुर जोड़े कर।
पुजे हरमेश नारी नर,
नमो हरिहर नमो हरिहर।।
सिंचे शिवलींग जप हर हर,
सहाय सदैव पग पग पर।
दिजो खालीय झोली भर
नमो हरिहर नमो हरिहर।।
रमे घूमर घणेरी घल,
रमन्ती मां उमा सह रल
डमा डम डमरु बाजे कर
नमो हरिहर नमो हरिहर
बहन्ती गंग कळ कळ कळ,
शिखा नित शशि चमकतो भळ।
लपेट लँगोट बाघाम्बर,
नमो हरिहर नमो हरिहर।।
हलाहल गटकियो भोला
मदन ने जालियो ज्वाला
त्रिलोचन खोल बायो सर
नमो हरिहर नमो हरिहर
किताई भक्त तूं तारे
किताई असुर तूं मारे
किताई रावण लिया वर
नमो हरिहर नमो हरिहर
महादेव चल चढ नंदी
मिटादो भक्त री मंदी
शिवा सह डोल पथ डूंगर
नमो हरिहर नमो हरिहर
°°°°°°°°°दीप चारण
शिव स्तुति ( दीप चारण कृत)
जय भुतेश्वर जय महेश्वर जय नगेश्वर शंकरम।
।। दोहा।।
भक्त तारेह भोळियो, होय'र शिखी सवार।
मनहर सावण मास में, नित पूजत नर नार।।
सिमरु सुरसती नै सदा,सिमरु सदाय गणेश।
पलकां पर मांँ पार्वती, मनड़े बसे महेश।।
।। छंद गीतिका।।
बह त गंगे चाल चंगे नीर झर झर झिरमिरम।
भंग घोलम रंग रोलम पग्ग डोलम थिरथिरम ।।
डमडमाडम डमडमाडम डैरु डम डम डंकरम।
जय भुतेश्वर जय महेश्वर जय नगेश्वर शंकरम।। 1
हे कपालम मूंडमालम चंद्रभालम सोभियम।
ताल तांडव नाच मांडव पांच पांडव तारियम।।
बम्म बोलम, नाग डोलम फन्न फोरम रूद्र रम।
जय भुतेश्वर जय महेश्वर जय नगेश्वर शंकरम।। 2
सति सखीयम बसि अँखीयम कूद यज्ञं तन तजम।
धाररूपम वीरभद्रम दक्ष यज्ञं नाशवम।।
रूद्ररूपम मार भूपम नाच नृत्यम तांडवम।
जय भुतेश्वर जय महेश्वर जय नगेश्वर शंकरम।। 3
सह हमेशम गणगणेशम कार्तिकेयम मिल रहम।
नेत्र लालम मल गुलालम उर विशालम हे हरम।।
उमियसंगम नागअंगम गंजतरँगम कलरवम।
जय भुतेश्वर जय महेश्वर जय नगेश्वर शंकरम।। 4
देवदेवम कर कलेवम भक्त सेवम नित करम।
कालकालम नेत्र भालम शूल पाणम बस उरम।।
हर लँकेशम नागसैंशम व्योमकेशम मन हरम।
जय भुतेश्वर जय महेश्वर जय नगेश्वर शंकरम।। 5
आक गटकै लाम लटकै पग्ग पटकै भरपुरम
तम्म तोड़म घोरघोरम हे अघोरम सुर परम।।
संग भूतम मल भभूतम रूप उत्तम तू धरम।
जय भुतेश्वर जय महेश्वर जय नगेश्वर शंकरम।। 6
शैल सट्टा खोल जट्टा नट्ट नट्टा रमतरम ।
गंगधारम कष्ट टारम नग निवासम कंदरम।।
सर्पहारम शिखिसवारम रूप प्यारम सुंदरम ।
जय भुतेश्वर जय महेश्वर जय नगेश्वर शंकरम।। 7
धीनकिट तट धीनकिट बाजत मृदंगम सुरमयम ।
नैन मटकै जट्ट झटकै चिल्म सटकै विस्षहरम।।
कालनाशम तोड़ पासम " दीप" दासम पगपड़म।
जय भुतेश्वर जय महेश्वर जय नगेश्वर शंकरम।। 8
छंद छप्पय
भस्म रम भूतनाथ , धगग धगग धुणि धुखाते ।
भस्म रम भूतनाथ , डमम डुगडुगी बजाते ।।
भस्म रम भूतनाथ , मंद मंद मुस्कुराते ।
भस्म रम भूतनाथ , रास तांडवम रचाते ।।
धिनकट धिनकट नाचते, झटक पटक लट केश री ।
चारण गण गुण गावते , माया देख महेश री ।।
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°दीप चारण
https://m.youtube.com/watch?v=Sm6ECblbxqA
https://m.youtube.com/watch?v=6eTTX8JoS6o
Har har mahadev
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