कवि महा जी बीठू छंद देवी माढ राणी रम्मिये ।


रांमत धरती माढ रमेवा।

कवि मेहाजी बीठू

आद सगत भणीजे एकूं , उण अवतार मां चरित्र अनेकू ।
जाणए पार कवण गुण जैकूं, तारंग सिला ऊतरी तैकूं ।।
मांग मांग कर सांग मुलकै , विद्या मो मन मांगी विलखै।
मुझ मुख थुकियो त्रम्बोल मिलक्कै , बोल बोल मुख खोल वलक्कै ।।
प्रांण नाथ प्रमाण प्रमेँकूं , मेहरवांण होय जोवत मेकूं ।
बुद्ध दे सुद्ध या मंत्र विमेकू,
दरस दिव्य दृष्टि मां देखू ।।
कर त्रिसुल गंजण केवी, भंजण पिसाचर खुफ्र भरेवी।
अजरा अमर समरतां एबी, सरणागता रिछ्या करै सेवी।
क्रोङ छप्पन चावंड कहाणी, बारे क्रोङ बचे ब्रम्ह्माणी ।
क्रोङ नव नामे कतियाणी, खट क्रोङ जामे खत्राणी ।।
लाख नव चारणी लोहवङीयाली, चोसठ जोगण खेलण चाली ।
पांच च्यार दुरगा परचाली, सप्तावत सतियां सिखराली ।।
नव सत सिणगार रचे नख रत्तुं, रास मंडप करतां चखरतुं ।
देवल प्रकास कियो दर संतू, वास सुगधं मुख हास वरंतूं।।
पोसाक पटोला चीर पलक्कै, जात जात जंवरात झलक्कै।
भाल तिलक नथ नाक भलक्कै, रतनमाल गल हार रलक्कै।।
गगन मंडल गीताल गहक्कै, ठमक पांव पंईयाल ठहक्कै।
ताल झमक त्रंबाल तहक्कै, डाक डमक दिग्गपाल डहक्कै।।
भेर बजत नाचंत भैरवा, वीर बावन बहुरूप बनेवा।
खैत्रपाल अगवान खेलेवा, रामत धरती माढ रमेवा।।


देवी माढ रैणी रम्मिये । 

रमेवा रंगू ऊभ अंगू वेष चंगू पैपरंग 
चुङी भलक्कू चीर ढक्कू पाव खलक्कू नेचरंग 
सोभा अपारंम सणगारंम ब्रेह मांरग ब्रम्मये 
साते सऊं वाणी आप बांणी माढरैणी रम्मिये 
...................................देवी माढ रैणी रम्मिये । 

ओछङ ऐवा तन्न तेव गवर देवा सोहियंग 
कुङल रतनं कनक कनगं मुर भवनं मोहियंग 
विरदात वैणां विरच्चैणा भळै नैणा भ्रम्मये 
साते सऊं वाणी आप बांणी माढरैणी रम्मिये 
...................................देवी माढ रैणी रम्मिये । 

कमरांस कसंग तांन तसंग ऊरहिर रसंग ओपीयंग 
हीरा जङत्तंग चूङ हत्थंग जोस अत्तंग जोपीयंग 
हींडोल हारं नवसांर ध्रवं तारंग ध्रम्मये 
साते सऊं वाणी आप बांणी माढरैणी रम्मिये 
...................................देवी माढ रैणी रम्मिये । 

बोहरूप वाली विरद्दाली मिले ताली मालीयंग 
हूंकार होडूं खेल कोडूं लूम्ब लोडूं लालीयंग 
लल धरा लग्गूं पाव करगूं न्रत अग्गूं नम्मियै 
साते सऊं वाणी आप बांणी माढरैणी रम्मिये 
...................................देवी माढ रैणी रम्मिये । 

सोलेतरजंग कला सरजंग नैणा करजंग निरमलंग 
च्यारै ही खडंग मेल मडंग बेल डडगं व्रिमलंग 
सोहे ज्वालंग सिक्खरालंग उज्जवालंग अम्मिये 
साते सऊं वाणी आप बांणी माढरैणी रम्मिये 
...................................देवी माढ रैणी रम्मिये । 

धर पाव धम्मां सुध रम्मा होय हम्मां हक्कहे 
भुज सोले भ्रम्मां घूमरम्मां डम्म डम्मा डहक्कहे 
गाजे गिरम्मा घूघरम्मां घूंम घूंमा घम्मये 
साते सऊं वाणी आप बांणी माढरैणी रम्मिये 
...................................देवी माढ रैणी रम्मिये । 

हो हाक हक्कू हथ्थङक्कू खङ खङक्कू खग्गहे 
कांधो क कङक्कू कूरमक्कू भार जक्कू भग्गहे 
त्रीभू टलक्कू च्यार चक्कू हो ध्रमक्कू ध्रम्मिये 
साते सऊं वाणी आप बांणी माढरैणी रम्मिये 
...................................देवी माढ रैणी रम्मिये । 

आरती अम्मर ढले चम्मर मेघडम्बर छत्र है 
मालाह मूलंग कंठ झूलंग कली फूलंग नेत्र है 
सोरंभ आसंग मुक्ख वांसग अंतरासंग अम्मिये 
साते सऊं वाणी आप बांणी माढरैणी रम्मिये 

...................................देवी माढ रैणी रम्मिये । 

झालरा झणणं चंग चंणणं भेर भंणणं बू भलंग 
संखनाद संणणं फणंत फंणणं गैण गंणणं भूगळंग 
तारास तंणणं राग रंणणं बोल बंणणं बम्मिये 
साते सऊं वाणी आप बांणी माढरैणी रम्मिये 
...................................देवी माढ रैणी रम्मिये । 

तारंग सिल्ला चढे चिल्ला तोम डिल्ला तोहीयंग 
कर केल किल्ला खिलखिल्ला हिल मिल्ला होईयंग 
जल हर उजल्ला थांन थल्ला त्रेमङल्ला तुम्मिये 
साते सऊं वाणी आप बांणी माढरैणी रम्मिये 
...................................देवी माढ रैणी रम्मिये। 

रचनाकार मेहाजी बीठू झणकली 
टंकणकर्ता दीप चारण (दिलीपसिंह चारण )

काॅपी पेस्ट वालों से अनुरोध हैं कि पोस्ट के साथ छेड़छाड़ न करे।

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