बरसात अर अनावड़ो
बरसालो अर अनावङो
आंधी आय अड़ड़ अड़ड़ ,घररर घन गरजीय ।
पला पल पलकै बीजली , घोर मेघ बरसीय ।।
कड़कत खैण कड़ड़ कड़ड़ , पड़ड़ड़ पड़े पनाल ।
पीय परदेस रंजियो , सेजां धण बेहाल ।।
असाढ अंबर गरजियो ,घम घम मेघ घुरंत।
तेग वेग चपला चमक , धण ऐकली डरंत ।।
काळ भइ रैण कालकी , घरां ऐकल डरंत।
बाट जोउ आय बारनै , बेगौ आये कंत ।।
होय घणी हिड़की तड़ित , खीण खीण मुइ खाय ।
परदेस जा बसे पिया , जल झड़ तन झुलसाय ।।
चपला देखे चापली , सजनी रजनी माय ।
प्राणहीन तन लाधसी ,नाह जे तु नह आय ।।
••••••••••••••••••••••••••दीप चारण
आंधी आय अड़ड़ अड़ड़ ,घररर घन गरजीय ।
पला पल पलकै बीजली , घोर मेघ बरसीय ।।
कड़कत खैण कड़ड़ कड़ड़ , पड़ड़ड़ पड़े पनाल ।
पीय परदेस रंजियो , सेजां धण बेहाल ।।
असाढ अंबर गरजियो ,घम घम मेघ घुरंत।
तेग वेग चपला चमक , धण ऐकली डरंत ।।
काळ भइ रैण कालकी , घरां ऐकल डरंत।
बाट जोउ आय बारनै , बेगौ आये कंत ।।
होय घणी हिड़की तड़ित , खीण खीण मुइ खाय ।
परदेस जा बसे पिया , जल झड़ तन झुलसाय ।।
चपला देखे चापली , सजनी रजनी माय ।
प्राणहीन तन लाधसी ,नाह जे तु नह आय ।।
••••••••••••••••••••••••••दीप चारण
वाहहह हुकम वाह गजब दूहा है सा 🌸👌🙏
ReplyDeleteआभार सा
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