करूणा स्तुति पृथ्वीराज चौहान कृत

💥करूणा-स्तुति 💥

कृत:-पृथ्वीराज चौहान

🌺छंद-भुजंगी🌺

परयौ गजनी बंध मलैछ हथं ;
विचार करै आप कर तुत पीथं !
हन्यौ दासी कै हैत कैमाच दानं ;
गजं खुन चॉमंड वैरी भरॉन !!१!!

बंधै कन का काच खापट गढ़ै ;
बिना खुन पंडुर सैभ्रत कढ़ै !
लीयौ राज लौकं रमंतै सीकारं ;
ब्रम कैहरी कनरा रीख जारं !!२!!

वरजत चंद चलयौ हुं कन्नौजं ;
तहॉ सुर सॉमत कट थट फौजं !
रह्यौ गैर मैला भयौ काम अधं ;
निशा वासरी बात जॉणी न संधं !!३!!

दरबार मैटे अधंब बड़ाई ;
सहु ऊपरै सीस हम्मीर राई !
बिना खून दरवैस अंगुली कटाई ;
वाहं फौज ऊर्द मक्कै चढ़ आई !!४!!

धरू आप सहाय काजी खुमॉन ;
गयौ चूक अवसान सन्मुख जानं !
भई बुध व प्रीत सो हौनहारं ;
चली पारसु दीह चक्शु निकारं !!५!!

पलट्यौ दिंह रहै लग्ग तारी ;
अहौ राय गौविन्द गर्भ अहारी !
सहौ फूल के फूलनी नाह नत्थं ;
तुरत तुरावै समालीन हत्थं !!६!!

नही सूर सामंत परिवार दैसं ;
नही गज बाजं भंडार विलेसं !
नही पंकुजा प्रान ते अंत प्यारी ;
नही गौख मैलायतॉ चित्रकारी !
नही चींग अगै सुलगै परदा ;
नही धूप हमाम गरमी सरदा !!७!!

नही सीरखूं रूप रूकै ऊसैंसा ;
नही पछमी तकिया पील पौशा !
नही डमरं पुनि आवे सुगंधा ;
नही चौसरं फूल बन्धै अबन्धा !!८!!

नही रैशमी के दली से नरमं ;
नही हींगलाटं सौवरंण हलंम !
नही सुथरी गदिया भू बिछौरा ;
नही मैन बत्ती नको दीप जौरा !!९!!

नही मृग नैणी चरणं पलासै ;
नही कौक कोंक सबदं हुलासै !
नही चातुरी पातुरी नृतकारी ;
नही ताल संगीत पल्ला पसारी !!१०!!

नही कपकपै सुजप्पै कहानी ;
पयं चाकरं हूतं लग्गै सौहानी !
नही चौज भौजॉ करू लख दानं ;
नही 'चंद भट्ट' बिरदं बखॉन !!११!!

नही पासवॉन खवासी हजूरी ;
सभी मंडळी मलैछ लगै करूरी !
चखॉ मंजरी की रहै सौ गिरदं ;
दवै दग ज्यूं दैह लग्गै दरदं !!१२!!

कैहि हुलरायॉ कंवारी धरती ;
कहौ कौनसी कौन समै बरती !
निराधार आधार किरतार तूंहीं ;
बन्यौ संकट आय मौ जीव सुंहीं !!१३!!

कलीकर दमी धैन बरदाव नीकी ;
संभारै नही तौ कहा है धनीकी !
करै ऊंच नींच कैते दास काजं ;
पैहलाद व भिक्शण ध्रुव निवाजं !!१४!!

त्रिया दौपद्री सीत कै मैट दुखं ;
गऊ गौप गौवर्धन धार नखं !
हन्यौ कंस राजं दियौ उग्रसेन ;
परयौ पारधि फैट में काट ऐनं !!१५!!

बचायै उवारै अंगारं मझारं ;
उवारै कैई दास ऐसै हजारं !
नृत आठ सौ वीस हजार पासै ;
जरासंध कै बंध मे से निकासै !!१६!!

रिखं अम्बरी कम्परी ख्यात वैनं ;
अजामैळ उद्धार राजीव नैनं !
चरावत धैनं वनं दाह लग्गी ;
ग्रस्यौ पौन दावानलं हौय अग्गी !!१७!!

डस्यौ पनंग नंद कु मग जातं ;
दई गत गन्धर्व कू लात गातं !
सुआ पूत ना विख दाई तराई ;
सिला दैह गौतम नारी छुपाई !!१८!!

पढ़ावत सुवा सुवारिख राई ;
गिनकॉ दियानं विमानं चढ़ाई !
सभा सौभ ही भीष्मं भीम सारो ;
बिना अपराधं ऐही क्यूं विचारौ !!१९!!

गिनावुं परवारै कहा लग्ग तौरे ;
करू एतनी वीनती हाथ जौरे !
बिना राज आजं सरै कौन काजं ;
निभावौ बिरदं गरीबं नवाजं !!२०!!

सदा ही कहावौ करूणा निधानं  ;
करीजै सहाय अबै चहुआनं !
लसै नाथ त्रिलौक कै पाय लागु ;
मनु मौत हिन्दुआन कै हाथ मॉगु !!२१!!

मैरे हाथ सुल्तान कै बान मारू ;
तरू हाथ सूं चंद से मित र वारू!
मम कारज करजौ कान धारं ;
प्रभूराज से प्रथु करै है पुकारं !!२२!!

कृत:-कवि पृथ्वीराज चौहान (दिल्ली)
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संकलन्:-रिड़मलदान दैथा,साता(रम'सा')
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